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सैलरी आते ही खत्म हो जाती है? 50/30/20 के इस नियम को करें फॉलो, बचेगा काफी पैसा

Personal Finance Tips: अगर आप 50/30/20 के नियम को फॉलो करते हुए अपना मंथली बजट बनाते हैं, तो कर्ज के जाल में फंसने से बच जाएंगे। इस नियम से आप अच्छी-खासी बचत भी कर सकते हैं।

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भारत

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Pawan Jayaswal

Aug 17, 2025

Personal Finance Tips

50-30-20 के नियम से आप अपना मंथली बजट बना सकते हैं। (PC: Chatgpt)

आजकल अधिकतर युवा नौकरीपेशा लोगों की हालत यह है कि सैलरी आने के हफ्तेभर में ही पूरा पैसा खत्म हो जाता है। आसान उपलब्धता के चलते आजकल युवाओं के पास कई लोन्स और कई क्रेडिट कार्ड्स रहते हैं। जैसे ही सैलरी आती है, अधिकांश पैसा लोन की ईएमआई और क्रेडिट कार्ड के बिल चुकाने में चला जाता है। इसके बाद जरूरी खर्चों के लिए फिर से लोन लेना पड़ जाता है। इस तरह लोग कर्ज के जाल में फंस रहे हैं। वित्तीय जागरुकता के अभाव में ऐसा हो रहा है। फाइनेंशियल प्लानर कहते हैं कि व्यक्ति को अपना मंथली बजट 50/30/20 के नियम को फॉलो करते हुए बनाना चाहिए। आइए जानते हैं कि यह नियम क्या कहता है।

क्या है 50/30/20 का नियम?

50/30/20 का नियम बजट बनाने की एक रणनीति है। यह नियम टैक्स के बाद बची कुल आय को तीन कैटेगरीज में विभाजित करता है। इस नियम के अनुसार, व्यक्ति को अपनी सैलरी का 50% हिस्सा जरूरतों पर, 30% हिस्सा शौक पूरे करने पर और 20% हिस्सा बचत व निवेश पर खर्च करना चाहिए। इस नियम का उद्देश्य आपको समय पर अपने वित्तीय लक्ष्यों को पूरा करने और भविष्य के लिए एक अच्छा बजट बनाने में सक्षम बनाना है। इस नियम में व्यक्ति की जरूरतों और चाहतों का भी ध्यान रखा गया है।

50% हिस्सा जरूरतों के लिए

इस नियम के अनुसार, आप अपनी टैक्स के बाद बची इनकम का आधा हिस्सा तत्काल वित्तीय खर्चों को संभालने के लिए उपयोग कर सकते हैं। ये वे खर्चे हैं जो जीवनयापन के लिए बिल्कुल जरूरी हैं। उदाहरण के लिए किराया, ईएमआई, राशन और फूड बिल, बीमा प्रीमियम आदि। इन खर्चों को पूरा करने में विफल होने पर अक्सर जुर्माना या अन्य देनदारियां हो सकती हैं, इसलिए आय का एक बड़ा हिस्सा ऐसे खर्चों के लिए आवंटित किया जाता है।

30% शौक पूरे करने के लिए

इस नियम में आय का लगभग 30% हिस्सा शौक पूरे करने के लिए रखा गया है। यह खर्चा गैर-आवश्यक वस्तुओं में होता हैं। ये ऐसे खर्चे हैं, जिनसे व्यक्ति को खुशी मिलती है। इनमें ट्रैवल, फिल्में देखना, बाहर खाना, शॉपिंग जैसे खर्च शामिल हैं। बाजार में उपलब्ध अंतहीन आकर्षक विकल्पों और लग्जरी प्रोडक्ट्स को देखते हुए ऐसे खर्चों को कंट्रोल करना अक्सर बहुत मुश्किल होता है। ये खर्चे अनियंत्रित हो जाएं, तो किसी के भी फाइनेंशियल गोल्स को बाधित कर सकते हैं। इसलिए 50/30/20 का नियम आपकी टैक्स के बाद की कुल आय के 30% तक ऐसे खर्चों को सीमित रखने का सुझाव देता है।

20% हिस्सा बचत के लिए

भविष्य की आपात स्थितियों और वित्तीय सुरक्षा के लिए बचत आवश्यक है। इसलिए, 50/30/20 नियम में सैलरी का 20% हिस्सा बचत और निवेश के रूप में रखा जाना चाहिए।

उदाहरण से समझिए

मान लीजिए कि आपकी सैलरी टैक्स काटकर 1,00,000 रुपये महीने आ रही है। 50/30/20 नियम के अनुसार, आप अपनी इस सैलरी का 50% यानी लगभग 50,000 रुपये जरूरतों के लिए उपयोग कर सकते हैं। इसमें बिजली बिल, फ्यूल बिल, ट्यूशन फीस, मोबाइल बिल, राशन और दूसरे खर्चे शामिल हो सकते हैं। सैलरी का लगभग 30% यानी लगभग 30,000 रुपये शौक पूरे करने के लिए यूज किये जा सकते हैं। जैसे शॉपिंग, फिल्में और बाहर खाना आदि। इसके बाद बचा 20% हिस्सा यानी लगभग 20,000 रुयये आपको बचत या निवेश में डालने होंगे।