
क्रेडिट कार्ड इस्तेमाल करने के 7 स्मार्ट टिप्स (प्रतीकात्मक तस्वीर)
Credit Card: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के हालिया आंकड़ों ने क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट और गैर-निष्पादित संपत्तियों (NPA) को लेकर चिंताजनक स्थिति का खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक साल में क्रेडिट कार्ड डिफॉल्टरों की संख्या में 28 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं पिछले पांच सालों में NPA में भी भारी इजाफा देखने को मिला है। यह रुझान न केवल उपभोक्ता ऋण की बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है, बल्कि वित्तीय स्थिरता पर इसके संभावित प्रभाव को लेकर भी सवाल खड़े करता है। आइए, इस रिपोर्ट के निहितार्थों को विस्तार से समझें।
आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, क्रेडिट कार्ड से संबंधित गैर-निष्पादित संपत्तियां (NPA) दिसंबर 2023 में 5,250 करोड़ रुपये थीं, जो अब बढ़कर लगभग 6,742 करोड़ रुपये तक पहुंच गई हैं। इस तरह, एक साल के भीतर इसमें करीब 1,500 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है। यह वृद्धि ऐसे समय में दर्ज की गई है, जब अर्थव्यवस्था की गति कुछ मंद पड़ती नजर आ रही है। दिसंबर 2024 तक यह एनपीए, बैंकों द्वारा दिए गए कुल 2.92 लाख करोड़ रुपये के क्रेडिट कार्ड ऋण का 2.3% है। वहीं, पिछले साल दिसंबर 2023 में यह 2.53 लाख करोड़ रुपये के कुल कर्ज का 2.06% था। इससे साफ है कि न केवल डिफॉल्ट की राशि बढ़ी है, बल्कि डिफॉल्ट दर में भी वृद्धि हुई है।
इंडियन एक्सप्रेस रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2020 में क्रेडिट कार्ड से जुड़ा एनपीए महज 1,108 करोड़ रुपये था, जो अब 500% से अधिक बढ़ गया है। यह उछाल तब आया है, जब बैंकों ने अन्य कर्जों के मामले में अपने प्रदर्शन में सुधार दिखाया है। दिसंबर 2023 में जहां कुल एनपीए 5 लाख करोड़ रुपये था, वहीं दिसंबर 2024 तक यह घटकर 4.55 लाख करोड़ रुपये रह गया। यानी, 2020 की तुलना में क्रेडिट कार्ड डिफॉल्ट में पांच गुना से ज्यादा की वृद्धि हुई है, जबकि इसी अवधि में बैंक अपने समग्र एनपीए को कम करने में कामयाब रहे हैं।
क्रेडिट कार्ड का बकाया असुरक्षित (अनसिक्योर) श्रेणी में आता है और इस पर सालाना ब्याज दरें काफी ऊंची होती हैं। अगर ब्याज या मूल राशि का भुगतान 90 दिनों से ज्यादा समय तक नहीं किया जाता, तो यह कर्ज एनपीए में बदल जाता है। जब कोई ग्राहक अपने क्रेडिट कार्ड बिल का भुगतान बिलिंग साइकिल से आगे बढ़कर देरी से करता है, तो बैंक बकाया राशि पर 42-46% की सालाना ब्याज दर वसूलते हैं। इससे न सिर्फ ग्राहक का बोझ बढ़ता है, बल्कि उसका क्रेडिट स्कोर भी कम हो जाता है। जानकारी के लिए, क्रेडिट कार्ड का बकाया वह राशि होती है, जो बैंकों द्वारा दी गई ब्याज-मुक्त अवधि खत्म होने के बाद ग्राहक को चुकानी पड़ती है।
क्रेडिट कार्ड सेगमेंट में ग्राहकों को लुभाने के लिए ज्यादा खर्च पर रिवॉर्ड, लोन की पेशकश और लाउंज सुविधाओं जैसे आकर्षक ऑफर दिए जाते हैं। एक बैंक अधिकारी ने बताया कि ग्राहकों को यह समझना जरूरी है कि अगर वे ब्याज-मुक्त अवधि (इंटरेस्ट फ्री पीरियड) के बाद भी कार्ड का बकाया नहीं चुकाते, तो कुछ मामलों में उन्हें 42% तक की ऊंची ब्याज दर का भुगतान करना पड़ सकता है। इससे वे कर्ज के चक्रव्यूह में फंस सकते हैं।
Published on:
07 Apr 2025 03:16 pm
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