scriptविश्व कप 2019 : दक्षिण अफ्रीका नहीं, इंग्लैंड-न्यूजीलैंड हैं सबसे बदकिस्मत टीमें, रिकॉर्ड तो यही कहते हैं | Not South Africa, England New Zealand are the most unlucky teams in WC | Patrika News

विश्व कप 2019 : दक्षिण अफ्रीका नहीं, इंग्लैंड-न्यूजीलैंड हैं सबसे बदकिस्मत टीमें, रिकॉर्ड तो यही कहते हैं

locationनई दिल्लीPublished: Apr 27, 2019 09:22:38 pm

Submitted by:

Mazkoor

विश्व कप में दूसरी सबसे ज्यादा मैच जीतने वाली टीम है न्यूजीलैंड
इंग्लैंड तीन बार पहुंची है फाइनल में
पहले पांच विश्व कप के सेमीफाइनल में पहुंची है टीम

England New Zealand

विश्व कप 2019 : दक्षिण अफ्रीका नहीं, इंग्लैंड-न्यूजीलैंड हैं सबसे बदकिस्मत टीमें, रिकॉर्ड तो यही कहते हैं

नई दिल्ली : विश्व कप में सबसे बदकिस्मत टीम दक्षिण अफ्रीका को माना जाता है। कहा जाता है कि वह सालों भर शानदार प्रदर्शन करती है, लेकिन विश्व कप में आकर उसके हाथ से जीत फिसल जाती है और वह अंतिम बाधा पार नहीं कर पाती। लेकिन इंग्लैंड और न्यूजीलैंड उससे भी ज्यादा बदकिस्मत टीमें हैं। आंकड़े इसके गवाह हैं।

सारे विश्व कप में शिरकत करने के बावजूद नहीं जीत सके खिताब
1975 से आईसीसी एकदिवसीय क्रिकेट विश्व कप खेला जा रहा है। इन विश्व कप में कुल सात टीमें आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, भारत, इंग्लैंड, वेस्टइंडीज (अब विंडीज), पाकिस्तान, श्रीलंका ही ऐसी हैं, जिन्होंने सारे विश्व कप में शिरकत की है। इन टीमों में से पांच आस्ट्रेलिया, वेस्टइंडीज, भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमें कभी न कभी विश्व कप जीत चुकी हैं, लेकिन दो देश इंग्लैंड और न्यूजीलैंड ऐसे हैं, जिनके हाथ निराशा लगी है। इनमें से इंग्लैंड तो क्रिकेट का जनक ही है। आखिर क्या वजह रही कि ये टीमें विश्व कप में जाकर चूक जाती हैं। इनका विश्व कप में कैसा रिकॉर्ड रहा है, आइए डालते हैं इस पर एक नजर।

पढ़ें : अमरीका, ओमान के बाद नामीबिया और पापुआ न्यू गिनी को मिला वनडे इंटरनेशनल का दर्जा

न्यूजीलैंड दूसरी और इंग्लैंड चौथी टीम है विश्व कप में सबसे ज्यादा जीतने के मामले में
क्रिकेट वर्ल्ड कप में सबसे ज्यादा मैच जीत-हार का रिकॉर्ड अगर देखा जाए तो विश्व कप जीतने वाली कई टीमों से बेहतर हैं यह दोनों टीमें। इनमें से जीत के मामले में न्यूजीलैंड की टीम आस्ट्रेलिया के बाद दूसरे नंबर पर है तो वहीं इंग्लैंड चौथे नंबर पर।
न्यूजीलैंड ने विश्व कप में अब तक कुल 79 मैच खेलकर 48 जीतने में कामयाब रही है तो वहीं मात्र 30 मैचों में हार का सामना करना पड़ा है। अगर इंग्लैंड का रिकॉर्ड देखें तो वह भी बुरा नहीं है। उसने 72 मैच खेल कर 41 में जीत हासिल की है तो मात्र 29 में उसे हार का सामना करना पड़ा है।

इंग्लैंड पहले 5 विश्व कप में लगातार सेफा में पहुंचा, तीन बार फाइनल भी खेला
इंग्लैंड का यह हाल तब है, जब शुरुआती तीनों विश्व कप उसके देश में ही खेले गए। उस वक्त विश्व कप 60 ओवरों के होते थे। इन तीनों विश्व कप समेत पहले पांच में भले इंग्लैंड के हाथ खिताब न लगा हो, लेकिन उसका प्रदर्शन शानदार रहा है। वह इन पांचों में सेमीफाइनल में पहुंची तो दो बार फाइनल भी खेली, लेकिन खिताब उससे दूर ही रही।
1975 में खेले गए पहले विश्व कप में वह सेमीफाइनल में पहुंचा। अंतिम 4 की बाधा वह तोड़ न सका और वेस्टइंडीज के हाथों हारकर बाहर हो गया तो सेमीफाइनल में हराने वाली वेस्टइंडीज खिताब ले उड़ी। इसके बाद 1979 में वह फाइनल खेला। यहां एक बार फिर वेस्टइंडीज ने उसके सपने को तोड़कर खिताब पर कब्जा जमाया। 1983 विश्व कप में एक बार फिर वह अंतिम चार में पहुंचा। इस बार सेमीफाइनल में उसका सामना भारत से हुआ और भारत ने उसका सफर यहीं समाप्त कर दिया और फाइनल में उसे हराकर खिताब पर कब्जा जमा लिया। 1987 में पहली बार विश्व कप इंग्लैंड की धरती के बाहर भारत-पाकिस्तान में खेला गया। इंग्लैंड ने एक बार फिर शानदार खेल दिखाया और वह फाइनल तक पहुंचा। इस बार फाइनल में आस्ट्रेलिया ने उसे निराश किया। आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में 1992 का विश्व में खेला गया। एक बार फिर वह फाइनल में पहुंचा, लेकिन पहली बार फाइनल में पहुंचे पाकिस्तान के हाथों उसे एक बार फिर निराश होना पड़ा।

पढ़ें : राहुल द्रविड़ हो सकतें हैं एनसीए के मुख्य कोच, सीओए चीफ ने दिए संकेत

1996 से घटा दबदबा
पांच विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करने के बाद इंग्लैंड का अपने उस प्रदर्शन को बरकरार नहीं रख पाई। 1996 में वह क्वार्टर फाइनल मुकाबले में श्रीलंका के हाथों हारा और इसी श्रीलंका ने विश्व कप अपने नाम कर लिया। यह विश्व कप भारत, पाकिस्तान और श्रीलंका में खेला गया था।
1999 इस बार फिर फॉर्मेट में बदलाव किया गया और सुपर सिक्स टीम को अगले चरण में प्रवेश दिया गया। ग्रुप ए से टॉप 3 टीमों में इसमें इंग्लैंड अपना जगह नहीं बना सकी और ग्रुप चरण में ही हारकर बाहर हो गई। यह विश्व कप इंग्लैंड में खेला गया था। दक्षिण अफ्रीका केन्या और जिम्बाब्वे में 2003 में हुआ विश्व कप भी सुपर सिक्स फॉर्मेट में ही खेला गया और ग्रुप ए से इंग्लैंड एक बार फिर सुपर सिक्स में जगह बनाने में नाकाम रही। इस बार विश्व कप पर आस्ट्रेलिया ने कब्जा जमाया।
वेस्टइंडीज में खेले गए 2007 विश्व कप के फॉर्मेट में फिर बदलाव किया गया। इस बार टीमों को चार ग्रुप में बांटा गया और हर ग्रुप से दो टीमों ने अंतिम 8 के लिए क्वालिफाई किया। इसमें अपने ग्रुप से इंग्लैंड ने जगह बनाई और वह अंतिम आठ में पहुंची। इन आठ टीमों के बीच खेले मैच में टॉप 4 में जगह बनाने में वह नाकाम रही और यहीं से बाहर हो गई।
2011 का विश्व कप भारत, श्रीलंका और बांग्लादेश में खेला गया। इस बार टीमों को दो ग्रुप में बांटा गया और दोनों ग्रुपों से चार-चार टीमें क्वार्टर फाइनल में पहुंची। अपने ग्रुप से इंग्लैंड ने भी क्वालिफाई किया। क्वार्टर फाइनल में वह श्रीलंका से हारकर बाहर हो गया। आस्ट्रेलिया-न्यूजीलैंड में खेले गए 2015 के विश्व कप में तो वह क्वार्टर फाइनल में भी पहुंचने में सफल नहीं रही।

न्यूजीलैंड नहीं तोड़ पाती सेमीफाइनल की बाधा
दूसरी तरफ अगर न्यूजीलैंड की बात की जाए तो विश्व कप में आते ही इस टीम का प्रदर्शन खराब हो जाता है। दुनिया की दिग्गज टीमों में शुमार न्यूजीलैंड सेमीफाइनल की बाधा तोड़ने में ही चूक जाती है। वह सात बार सेमीफाइनल में पहुंची है और उसने सिर्फ एक बार सेमीफाइनल की बाधा तोड़ते हुए फाइनल में पहुंची है।

ऐसा रहा है विश्व कप में उसका सफर
1975 में खेले गए पहले विश्व कप में शानदार प्रदर्शन करते हुए इस टीम ने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया, जहां उसे वेस्टइंडीज ने निराश किया। 1979 में वह एक बार फिर सेमीफाइनल में पहुंचा, लेकिन इंग्लैंड ने उसे हराकर यहीं से बाहर कर दिया। 1983 और 1987 विश्व कप में तो उसका सफर ग्रुप चरण में ही समाप्त हो गया।
1992 में नॉक आउट राउंड आधार पर खेले गए विश्व कप में किवीज ने टॉप पर रहकर जगह बनाई, लेकिन सेमीफाइनल में मुश्किल से अंतिम चार में पहुंचची पाकिस्तान ने उसे हरा दिया।
1996 में इस टीम का सपना क्वार्टर फाइनल में ही टूट गया। आस्ट्रेलिया ने उसे हराकर यहीं से घर भेज दिया। 1999 में वह सुपर सिक्स टीम में जगह बनाने में कामयाब रही। सुपर सिक्स मुकाबले में भी उसने अच्छा प्रदर्शन करते हुए बार फिर सेमीफाइनल में जगह बनाया, लेकिन इस बार फिर उसके आड़े एक बार फिर पाकिस्तान आ गया। 2003 में किवी टीम ने इस बार फिर सुपर सिक्स में जगह बनाई, लेकिन वह यहीं से बाहर हो गया।
2007 और 2011 में दोनों बार न्यूजीलैंड सेमीफाइनल में पहुंची, लेकिन दोनों बार उसके सपना को श्रीलंका ने तोड़ दिया।

2015 रहा किवी टीम के लिए खास
2015 का विश्व कप आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खेला गया था। इस साल न्यूजीलैंड ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। अपने ग्रुप से शीर्ष पर रह कर क्वार्टर फाइनल में पहुंचा। अंतिम 8 के मुकाबले में वेस्टइंडीज को मात देकर सेमीफाइनल में जगह बनाई। सेमीफाइल में दक्षिण अफ्रीका को बाहर किया और पहली बार विश्व कप के फाइनल में जगह बनाई। लेकिन इस बार फाइनल में उसके आड़े आस्ट्रेलिया गया और उसे एक बार फिर मायूस होना पड़ा।

इस बार तोड़ पाएंगी बाधा
इस बार न्यूजीलैंड की कमान केन विलियम्सन के हाथों में है और टीम पूरी तरह संतुलित नजर आती है और विश्व कप की बड़ी दावेदार भी है। वहीं इंग्लैंड की कमान इयान मॉर्गन के हाथों में है। इस टीम को भारत के साथ विश्व कप का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है। क्या इस बार इन दोनों टीमों में से कोई एक अपनी किस्मत से लड़कर विश्व का खिताब अपने नाम करेगी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो