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Coronavirus: एक शख्स ने दिया 30k करोड़ में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बेचने का ऑनलाइन विज्ञापन, FIR दर्ज

केवाडिया पुलिस स्टेशन ने अज्ञात के खिलाफ मामला दर्ज किया महामारी रोग अधिनियम और सूचना प्रौद्योगिकी एक्ट के उल्लंघन का लगा आरोप आरोपी ने ओएलएक्स पर दिया था पटेल की प्रतिमा की बिक्री का विज्ञापन

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नई दिल्ली। गुजरात के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी ( Statue of Unity ) की बिक्री के लिए एक ऑनलाइन विज्ञापन (Online Advertisment) का मामला प्रकाश में आने के बाद केवाडिया पुलिस स्टेशन ने एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज है। ऑनलाइन विज्ञापन में स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की कीमत 30 हजार करोड़ रुपए बताई गई है। प्रतिमा को बेचने के पीछे कोरोना वायरस संकट से निपटने पर आने वाले खर्च के लिए जरूरी धन की आवश्यकता बताया गया है। जानकारी के मुताबिक केस दर्ज होने के बाद विज्ञापन हटा दिया गया है।

ऑनलाइन विज्ञापन का मामला प्रकाश में आने के बाद केवडिया पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने प्राथमिकी का हवाला देते हुए बताया कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने शनिवार को ओएलएक्स पर एक विज्ञापन दिया है। विज्ञापन में अनाम व्यक्ति ने अस्पतालों और स्वास्थ्य संबंधी उपकरणों को खरीदने के लिए स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को 30,000 करोड़ रुपए में बेचने की आवश्यकता बताई है।

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केवाडिया पुलिस स्टेशन के इंस्पेक्टर पीटी चौधरी ने कहा कि एक अखबार में इसकी रिपोर्ट आने पर स्मारक के अधिकारियों को इसका पता चला। उन्होंने पुलिस से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि इस संबंध में विभिन्न कानूनों के तहत एक मामला दर्ज किया गया है।
बता दें कि स्टैच्यू ऑफ यूनिटी सरदार पटेल ( Sardar Patel) का स्मारक है। यह प्रतिमा 182 मीटर ऊंची है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अक्टूबर, 2018 में इसका उद्घाटन किया था। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी को बनाने में 2,989 करोड़ रुपए खर्च हुआ था। यह दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है।

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इस स्टैच्यू को मात्र 42 महीनों में 7,000 टन सीमेंट, 22,500 टन स्टील के इस्तेमाल से बनाया गया। सरदार पटेल के इस स्टैच्यू में 1700 टन तांबे का प्रयोग किया गया है। इसमें 6.5 तीव्रता को भूकंप को सहने की क्षमता है। इसके साथ ही यह 220 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं को भी सहन कर सकता है। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पीएम मोदी का ड्रीम प्रोजेक्ट है, जो 19,700 वर्ग किलोमीटर में फैली एक परियोजना का हिस्सा है।