
पंचायतों के लोगों ने किया श्रमदान (photo source- Patrika)
CG News: सरकारी उदासीनता और वर्षों से अधूरी पड़ी विकास की उम्मीदों के बीच अबूझमाड़ से सटे सीमावर्ती इलाकों में ग्रामीणों ने एक मिसाल कायम की है। बड़ेकरका गांव से लेकर कोशलनार टू तक 12 किलोमीटर लंबी सड़क ग्रामीणों ने स्वयं श्रमदान कर तैयार की। आपको बता दें कि यह सड़क निर्माण कार्य कोशलनार 1, कोशलनार 2 और हांदावाड़ा पंचायत के कुरसिंग बाहार के ग्रामीणों ने मिलकर किया।
इलाके में नक्सल गतिविधियों में कमी आने के बाद भी शासन-प्रशासन ने सड़कों के निर्माण पर ध्यान नहीं दिया, जिससे नाराज ग्रामीणों ने सरकारी मदद के बिना ही सड़क बनाने का निर्णय लिया। ग्रामीणों ने बताया कि वे कई वर्षों से विधायक, कलेक्टर और जनप्रतिनिधियों से सड़क निर्माण की मांग कर रहे थे, लेकिन किसी ने उनकी समस्या नहीं सुनी। ग्रामीण जिला मुख्यालय या राशन दुकान तक पहुंचने के लिए 12 किलोमीटर पहाड़ी और पगडंडी रास्ते पैदल तय करने को मजबूर थे।
बरसात के समय आवागमन बंद हो जाने से न केवल राशन और स्वास्थ्य सेवाओं, बल्कि शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाओं पर भी असर पड़ता था। यही कारण है कि तीनों पंचायतों ने मिलकर इस सड़क को स्वयं बनाने का बीड़ा उठाया। ग्रामीणों का कहना है कि वे तीन दिनों में यह सड़क पूरी कर लेंगे, ताकि गांव तक सुविधाओं का रास्ता खुल सके। अबूझमाड़ के इन दुर्गम इलाकों के ग्रामीणों ने यह साबित कर दिया है कि जब इच्छाशक्ति मजबूत हो, तो विकास की राह खुद तैयार की जा सकती है।
CG News: जीला राम तोली, ग्रामीण (कोशलनार वन): हमने बहुत बार अधिकारियों से मांग की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई, इसलिए हमने खुद ही सड़क बनानी शुरू की।
माहीराम लेखाम (सरपंच पति, कोशलनार टू): अब सड़क बन जाने से गांव तक एंबुलेंस और जरूरी सेवाएं पहुंच सकेंगी।
Updated on:
09 Nov 2025 01:45 pm
Published on:
09 Nov 2025 01:44 pm
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