
दंतेवाड़ा का नया टूरिस्ट स्पॉट (photo source- Patrika)
CG News: दंतेवाड़ा जिले की प्राकृतिक सुंदरता मानसून के बाद अब शीत ऋतु में भी पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को लुभा रही है। इसी कड़ी में विकासखंड दंतेवाड़ा का ग्राम मेंडोली इस सीजन का नया टूरिस्ट स्पॉट बनकर उभरा है, जहां सड़क के दोनों ओर लहलहाते रामतिल के पीले फूल मानो धरती पर सुनहरा दुशाला बिछा रहे हों।
जिले से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित यह गांव इन दिनों फोटोग्राफी प्रेमियों और सैलानियों के लिए आकर्षण का नया केंद्र बन गया है। सुबह की हल्की धूप और शाम के सुनहरे उजाले में रामतिल के पीताभ फूलों के बीच का दृश्य इतना मनमोहक होता है कि हर आगंतुक इसे अपने कैमरे में कैद किए बिना आगे नहीं बढ़ता। ग्रामीण परिवेश में पकी धान की फसलें, हरियाली से घिरे जंगल और स्वच्छ जलधाराओं के बीच रामतिल के यह खेत शीत ऋतु की सुंदरता को और भी खास बना रहे हैं।
रामतिल के इन पीले लहलहाते खेतों ने न सिर्फ तिलहन की खेती की संभावनाओं को बढ़ाया है, बल्कि ग्रामीण पर्यटन का भी नया द्वार खोल दिया है। बाहरी आगंतुकों की बढ़ती आवाजाही से गांव में नए अवसर विकसित हो रहे हैं और युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार व उद्यमिता की संभावनाएं नजर आने लगी हैं।
कृषि विभाग और जिला प्रशासन द्वारा किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन के साथ-साथ गुणवत्तापूर्ण बीज की उपलब्धता भी सुनिश्चित कराई गई है। इसके लिए सीड बैंक की विशेष व्यवस्था लागू की गई है। नेशनल ऑयलसीड मिशन के अंतर्गत दंतेवाड़ा विकासखंड में कावड़गांव को क्लस्टर बनाकर तिलहन उत्पादन का विस्तार किया गया है। इसी कार्यक्रम के तहत मेंडोली सहित चितालुर, पोंदूंम, जारम, मेटापाल, कावड़गांव और डुमाम गांवों के किसानों ने 1 से 5 एकड़ तक रामतिल की बुआई की है।
CG News: रामतिल की खेती कर रहे मेंडोली के किसान मंगडू कश्यप का कहना है कि उन्होंने पारंपरिक फसलों के स्थान पर पहली बार रामतिल जैसी वाणिज्यिक वैकल्पिक फसल को अपनाया है। यह फसल बहुत कम पानी में तैयार हो जाती है और मेहनत तथा लागत भी अपेक्षाकृत कम लगती है। विभागीय सूत्रों के अनुसार, रामतिल का बाजार मूल्य अन्य फसलों की तुलना में अधिक है, जिससे किसानों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है।
Updated on:
29 Nov 2025 02:09 pm
Published on:
29 Nov 2025 02:08 pm
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