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परिवार का काल बना कोरोना : सास, जेठ और पति की मौत से दुखी बहु ने भी फांसी लगाकर की आत्महत्या

एक सप्ताह में सबसे पहले बालकिसन गर्ग की पत्नी और उसके बाद दो बेटों की कोरोना से मौत हो गई। इस दुख को बरदाश्त न कर पाई उनकी छोटी बहू ने भी बुधवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।

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परिवार का काल बना कोरोना : सास, जेठ और पति की मौत से दुखी बहु ने भी फांसी लगाकर की आत्महत्या

देवास/ मध्य प्रदेश में कोहराम मचा रहे कोरोना वायरस ने देवास में रहने वाले अग्रवाल समाज के अध्यक्ष बालकिसन गर्ग के परिवार काल बन गया। महज एक सप्ताह पहले किसी भी दुख से अंजान इस परिवार पर बुधवार तक दुखों का पहाड़ टूट चुका था। इस एक सप्ताह में सबसे पहले उनकी पत्नी और उसके बाद दो बेटों की कोरोना से मौत हो गई। यही नहीं, इस दुख को बरदाश्त न कर पाने के कारण उनकी छोटी बहू ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। परिवार में अब गर्ग परिवार के मुखिया बालकिसन गर्ग के अलावा उनकी बड़ी बहू और पोते-पोतियां रह गए हैं।

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इस तरह एक सप्ताह में परिवार के लिये काल बना कोरोना

बताया जा रहा है कि, सबसे पहले कोरोना की चपेट में बालकिसन गर्ग की पत्नी 75 वर्षीय चंद्रकला आईं, संक्रमण पर काबू न पाए जाने के कारण 14 अप्रैल को उनकी मौत हो गई। इसके बाद दो दिन के अंतराल से बड़े बेटे 51 वर्षीय संजय गर्ग और उसके बाद 48 वर्षीय स्वप्नेश गर्ग की भी कोरोना के चलते मौत हो गई। शायद इस वज्रपात का सबसे गहरा असर छोटी बहू 45 वर्षीय रेखा गर्ग पर पड़ा। परिवार में मौत का तांडव देखते हुए गम से निढाल होकर उसने भी बुधवार को फांसी लगाकर आत्म हत्या कर ली और देखते ही देखते महज एक सप्ताह के भीतर पूरे परिवार पर गमों का पहाड़ टूट पड़ा।

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परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, नहीं सहन कर सकी बहु

परिवार से जुड़े अग्रवाल समाज के ही एक सदस्य ने बताया कि, गर्ग परिवार शहर में किराना का थोक व्यापार करते हैं। करीब 20 साल पहले रेखा उनके घर बहू बनकर आई थी, लेकिन सप्ताह भर उनके परिवार के सदस्यों पर टूटे दुखें के इस पहाड़ का दर्द वो सहन नहीं कर सकी और शायद यही वजह है कि, आत्महत्या करने में ही उन्होंने बेहतरी समझी।

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पत्रिका का संदेश

पत्रिका का उद्दैश्य इस खबर के माध्यम से लोगों को डराना नहीं है, बल्कि उसके प्रति जागरूकता बढ़ाना है। संक्रमण के इस विक्राल स्तर पर पहुंचने के बाद भी देवास ही नहीं प्रदेश और देशभर में अब भी बड़ी आबादी ऐसी है, जो इसे गंभीरता से नहीं ले रही। इसके प्रति जागरूक नहीं हो रही। वरना मध्य प्रदेश में लॉकडाउन होने के बावजूद यहां कोरोना के मरीजों की संख्या गुणात्मक स्तर से न बढ़ती। हम अब भी अपने आस-पास देखें तो बहुत से लोग मास्क लगाने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने में गंभीरता नही बरत रहे। जरा सोचिये, आपका भी एक हस्ता खेलता परिवार है और जब कोरोना के कारण पूरी दुनिया में त्राहिमाम मचा हुआ है, तो क्या कोई एक छोटी सी लापरवाही आपको और आपके परिवार को किसी संकट में नही डाल सकती? पत्रिका का संदेश है कि, हमें अब भी इस बीमारी से डरना नहीं है, बल्कि नियमों का कड़ाई से पालन करते हुए एक ईमानदार परिवार के सदस्य और एक ईमानदार देश के नागरिक होने का कर्तव्य निभाना है।

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