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राजस्थान: नवजात शिशु को बेसहारा छोड़ गए अपने, आखिर जिन्दगी की जंग हारा; मिला था लहुलूहान

प्री-मैच्योर नवजात शिशु जीवन और मृत्यु के बीच की जंग हार गया। जिला अस्पताल में चार दिन तक उपचार के बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ और उसने दम तोड़ दिया।

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Shameful Rajasthan Bhilwara Pali Now Dungarpur a newborn was found outside a hospital his condition critical

डूंगरपुर चिकित्सालय में भर्ती नवजात की फाइल फोटो। अब यह बच्चा दुनिया में नहीं रहा।

राजस्थान के डूंगरपुर जिले में एक और हृदयविदारक घटना सामने आई है। कुछ दिन पहले जिला चिकित्सालय के बाहर बेसहारा मिला प्री-मैच्योर नवजात शिशु जीवन और मृत्यु के बीच की जंग रविवार रात हार गया। यहां जिला अस्पताल में चार दिन तक उपचार के बाद भी हालत में सुधार नहीं हुआ और उसने दम तोड़ दिया।

इधर, राजकीय शिशु गृह प्रबंधन ने पुलिस की मदद से पोस्टमार्टम की कार्रवाई के बाद सोमवार को नगरपरिषद के माध्यम से अंतिम संस्कार किया। इधर, पुलिस नवजात को अस्पताल गेट के बाहर छोड़ जाने वाले की तलाश में जुटी हुई हैं, लेकिन चार दिन बाद भी कोई सुराग नहीं मिल पाया हैं।

जख्मी हालात में मिला था, इंफेक्शन से संघर्ष

नवजात बालक था, जिसका जन्म लगभग सात माह में ही हो गया था, और उसका वजन महज 700 ग्राम था। 25 सितंबर की रात करीब ढाई बजे जब वह जिला चिकित्सालय के बाहर मिला, तो वह लहुलूहान और जख्मी था।

शिशु गृह के प्रबंधक कुलदीप शर्मा ने बताया कि संभवतः झाड़ियों में फेंकने के कारण उसके शरीर पर कई जख्म हो गए थे। कीड़े-मकोड़ों के काटने से भी उसे नुकसान पहुंचा था और उसके पूरे शरीर में गंभीर इंफेक्शन फैल गया था।

चिकित्सालय में डॉक्टरों ने उसे बचाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन वो गंभीर संक्रमण को झेल नहीं पाया।

पालना गृह में छोड़ें

जिले में नवजातों को लावारिस छोड़ने की वारदातें पूर्व में भी हो चुकी हैं। पिछले एक पखवाड़े में दो नवजातों की मौत के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें 19 सितंबर को शिशु गृह में छोड़ा गया मृत नवजात भी शामिल है।

प्रबंधक शर्मा ने अपील की है कि यदि कोई माता-पिता किसी भी कारणवश अपने बच्चे का पालन-पोषण नहीं कर सकते, तो उन्हें शिशु को झाड़ियों या सार्वजनिक स्थानों पर फेंकना नहीं चाहिए।

इसके बजाय, वे सामान्य चिकित्सालय या राजकीय शिशु गृह में बने 'पालना गृह' का उपयोग करें।