
CG News: कॉलेज-यूनिवर्सिटी की गड़बड़ियों पर दो साल में लोकपाल बेअसर, छात्र परेशान...(photo-patrika)
CG News: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों के लिए नामांकन, परीक्षा आवेदन से लेकर मार्कशीट में विलंब, मूल्यांकन प्रक्रिया में गड़बड़ी जैसी दर्जनों तरह की शिकायतें सुलझाने के लिए लोकपाल नियुक्त किए गए हैं। इनका काम छात्रों की समस्या को सुनकर तय समय सीमा में उसका समाधान देना है। लेकिन, संभाग के किसी भी विश्वविद्यालय में पिछले दो साल में एक भी मामला लोकपाल के पास नहीं पहुंचा।
जबकि स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय से लेकर हेमचंद विश्वविद्यालय और कामधेनु यूनिवर्सिटी में आए दिन छात्र अपनी परेशानियां लेकर पहुंच रहे हैं। रहे हैं। विश्वविद्यालयों में लगातार प्रदर्शन हो रहे हैं। मगर, यह मामले लोकपाल के पास नहीं पहुंच रहे। विश्वविद्यालयों के जिम्मेदार इन मामलों को प्रदर्शन के प्रभाव में सुलझा रहे हैं।
सीएसवीटीयू डॉ. अंकित अरोराकुलसचिव ने कहा की छात्रों की शिकायतों को लोकपाल के समक्ष प्रस्तुत करना है। इसके लिए जल्द ही अवेयरनेस प्रोग्राम चलाएंगे। इसके अलावा एक समस्या समाधान पोर्टल भी बना रहे हैं, जो जल्द ही लाइव हो जाएगा।
लोकपाल छात्रों के साथ कथित रूप से किए गए भेदभाव की शिकायत की सुनवाई करने के लिए न्याय मित्र के रूप में कार्य करता है। लोकपाल पीड़ित छात्र से अपील मिलने के 30 दिनों के भीतर शिकायतों का समाधान करने का प्रयास करेगा।
रैगिंग, फीस बढ़ोतरी, आवेदन फॉर्म, दाखिला संबंधी गड़बड़ी, फीस, सर्टिफिकेट वापस नहीं करना, उत्पीड़न, परीक्षा संचालन में अनियमितता, छात्रवृति के पैसे मांगना, आरक्षण नियमों का पालन न करना जैसी शिकायतों का निपटारा लोकपाल करेगा। इसके लिए एक वेब पोर्टल भी बनाना था, लेकिन अलग से कोई व्यवस्था नहीं की गई।
यूजीसी की गाइडलाइन के हिसाब से विश्वविद्यालयों में लोकपाल की नियुक्तियां तीन साल के लिए की गई है। इसमें से तकरीबन दो वर्ष ऐसे ही बीत गए। इतने समय में एक भी मामला लोकपाल की अदालतों तक नहीं पहुुंचा। सीएसवीटीयू में एनआईटी रायपुर के पूर्व प्राध्यापक डॉ. आरपी पाठक को लोकपाल बनाया गया है। वहीं हेमचंद यादव विश्वविद्यालय में डॉ. मिताश्री मित्रा लोकपाल हैं।
दुर्ग संभाग के तमाम विश्वविद्यालयों में सबसे पहले सीएसवीटीयू ने लोकपाल नियुक्त किया, वहीं सबसे आखिरी में कामधेनु विश्वविद्यालय ने डॉ. एके अग्रवाल को लोकपाल बनाया है। अकेले दुर्ग जिले की इन तीनों यूनिवर्सिटी में ही पिछले एक साल में दो दर्जन से अधिक बार प्रदर्शन हुए हैं, लेकिन न तो छात्रों ने लोकपाल का दरवाजा खटखटाया और न ही विश्वविद्यालयों ने इन्हें आगे लोकपाल को प्रेषित किया।
Updated on:
09 Sept 2025 01:50 pm
Published on:
09 Sept 2025 01:49 pm
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