
धान खरीदी का समय फिर से शुरू, FCI में कम चावल जमा, प्रशासन और अधिकारियों की सुस्ती पर उठे सवाल...(photo-patrika)
CG Custom Milling: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में कस्टम मिलिंग का चावल जमा करने में न तो राइस मिलर रुचि ले रहे हैं और न ही जमा करवाने में अधिकारी। इससे कस्टम मिलिंग के नाम पर बड़े खेल की आशंका जताई जा रही है। जिले में 149 मिलर्स कस्टम मिलिंग कर रहे हैं। इन मिलर्स ने 90 लाख क्विंटल से ज्यादा धान मिलिंग के लिए उठाव किया है।
एक महीने की मिलिंग क्षमता 28 लाख क्विंटल से भी ज्यादा है। मिलर्स द्वारा पूरी क्षमता से मिलिंग किए जाने पर उठाव किए गए समूचे धान का अधिकतम 4 माह में मिलिंग हो जाना चाहिए, लेकिन 7 माह बाद भी मिलर्स ने केवल 35 लाख क्विंटल से अधिक चावल जमा कराया है।
जिले में राइस मिलर्स से इस बार कस्टम मिलिंग के लिए 95 लाख 80 हजार 910 क्विंटल धान के उठाव का अनुबंध कर डिलवरी ऑर्डर (डीओ) जारी किया गया है। अनुबंध के अनुपालन में मिलर्स ने 90 लाख 44 हजार 720 क्विंटल धान का उठाव किया है।
मिलिंग शर्त के मुताबिक प्रति क्विंटल धान के एवज में मिलर्स को 66 किलो चावल जमा करना होता है। इसके मुताबिक मिलर्स को 61 लाख 37 हजार 770 क्विंटल चावल जमा कराना है, लेकिन अब तक सिर्फ 35 लाख 64 हजार 730 क्विंटल ही चावल जमा किया गया है।
मिलर्स को 47 लाख 75 हजार 200 क्विंटल चावल सेंट्रल पुल यानि एफसीआई में जमा कराना है। इसके लिए 47 लाख 75 हजार 200 क्विंटल धान का उठाव किया गया है। इसके एवज में मिलर्स ने अब तक केवल 23 लाख 66 हजार 810 क्विंटल चावल जमा कराया है। वहीं 24 लाख 8 हजार 390 क्विंटल चावल जमा कराना शेष है।
नान की जरूरत के लिए 13 लाख 62 हजार 570 क्विंटल मिलर्स को जमा कराना है। इसके लिए 20 लाख 17 हजार 800 क्विंटल धान का उठाव मिलर्स ने किया है। मिलर्स ने मिलिंग के बाद 11 लाख 97 हजार 920 क्विंटल चावल नान के गोदामों में जमा करा दिया। जबकि यहां केवल 1 लाख 64 हजार 650 क्विंटल चावल जमा कराना शेष रह गया है।
जिला प्रशासन द्वारा भौतिक सत्यापन पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। बताया जा रहा है कि मिलर्स ने राज्य सरकार के कोटे का 88 फीसदी चावल नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के गोदामों में जमा करा दिया है। ऐसे में सरकारी गोदाम फुल हैं। कारण जिला प्रशासन के अधिकारी मिलों में भौतिक सत्यापन पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। वहीं एफसीआई में केवल 50 फीसदी चावल जमा हुआ है।
कस्टम मिलिंग के नियम के मुताबिक 30 सितंबर तक चावल जमा करा लिया जाना चाहिए, यह मियाद पहले ही खत्म हो चुकी है। अब नए खरीफ सीजन के लिए धान की खरीदी की तैयारी भी शुरू हो चुकी है। इसके लिए इन्ही राइस मिलर्स से फिर अनुबंध किए जाएंगे। जबकि मिलर्स ने केवल 58 फीसदी चावल जमा कराया है। यानी उठाव का 42 फीसदी धान अथवा चावल अभी भी मिलों में स्टोर होना चाहिए। लेकिन मिलों की स्थिति अलग है।
जानकारों का कहना है कि अधिकतर राइस मिल संचालकों के पास इतनी बड़ी मात्रा में धान और चावल को स्टोर कर रखने लायक जगह नहीं है। वे धान की मिलिंग कर खुले बाजार में खपा चुके हैं। इससे उन्हें अधिक मुनाफा मिलता है। इधर जब प्रशासन का दबाव बढ़ेगा तब राइस मिलर्स चावल का जुगाड़ कर जमा करने का प्रयास करेंगे।
Published on:
06 Oct 2025 01:49 pm
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