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हन्टर सिंड्रोम नामक बीमारी बचाने के लिए एम्स ने मांगे 1,92,77,648 रुपए, लेकिन योगी सरकार ने दिए 5 लाख

locationइटावाPublished: Jul 09, 2019 04:35:05 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

एम्स के डाक्टरों की ओर से मासूम देव के इलाज के लिए अनुमानित खर्च से संबधित दस्तावेज दिए गए हैं। उनमें 1 करोड़ 92 लाख 77 हज़ार 648 रुपये की दरकार की गई है।

AIIMS demanded Rs 1,92,77,648 from save Hunter syndrome disease

हन्टर सिंड्रोम नामक बीमारी बचाने के लिए एम्स ने मांगे 1,92,77,648 रुपए, लेकिन योगी सरकार ने दिए 5 लाख

इटावा. 2 लाख बच्चों में से किसी एक को होने वाली अतिदुर्लभ अनुवांशिक बीमारी ’म्यूकोपाली सेककराइड टाईप-2’ (हन्टर सिंड्रोम) नामक बीमारी से उत्तर प्रदेश मे इटावा जिले के भर्थना के सरैया गांव का एक मासूम के पीड़ित हो जाने के बाद उसके परिजन अवसाद में है। गरीब जगतराम अपने बेटे का इलाज कैसे कराये कि उसे अपने बेटे की जिंदगी के लिए 1 करोड़ 92 लाख 77 हज़ार 648 रुपये की जरूरत है। एम्स के डाक्टरों की ओर से मासूम देव के इलाज के लिए अनुमानित खर्च से संबधित दस्तावेज दिए गए हैं। उनमें 1 करोड़ 92 लाख 77 हज़ार 648 रुपये की दरकार की गई है लेकिन कोई गरीब इतना पैसा कहां से जुटाएगा यह सवाल बना हुआ है।

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भर्थना के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डा.अमित दीक्षित ने बताया कि म्यूकोपाली सेककराइड टाईप-2 (हन्टर सिंड्रोम) नामक बीमारी से ग्रसित मासूम देव का सोमवार को परीक्षण किया गया, उसमे इस बीमारी के लक्षण पाए गए है। इस बीमारी के लक्षण ओठों के मोटे तो होते ही हैं। हाथों पैरों की हडिडयां भी ढेड़ी हो जाती हैं, इसके अलावा किडनी और बीमारी भी खराब हो जाते हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि यह बीमारी अनुवाशिंक बीमारियों में सुमार है। जो बेहद ही रेयर मानी जाती है। अभी तक इस बीमारी की केस हिस्ट्री के मुताबिक 2 लाख लोगों में से किसी एक को यह बीमारी होती है। इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति के शरीर में एन्जाइम का उदगम बंद हो जाता है।

एन्जाइम रिपलेसमेंट थैरपी के जरिए होता है इलाज

एम्स के डाक्टरों ने परीक्षण के बाद उसके परिजनों को उसके इलाज के लिए जो स्टीमेट दिया वह बहुत ही मंहगा है क्योंकि दवा के रूप में यह एक वैक्सीन है। इस बीमारी का इलाज एन्जाइम रिपलेसमेंट थैरपी के माध्यम से किया जाता है। यह वैक्सीन बंगलौर में उपलब्ध होती है। इटावा ज़िले के भर्थना के सरैया गांव के किसान जगत सिंह का 6 साल का मासूम बेटा देव बिस्तर पर पड़ा हुआ है वह सरकारी मदद की आस इसलिए लगाए हुए है क्योंकि पिछले दो साल से इस बीमारी का दंश झेल रहे देव के पिता का अब तक सब कुछ करीब 50 लाख की खेती सिर्फ यह जानने में बिक गई कि उनके बेटे देव को आखिर कौन सी बीमारी है।

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मुख्यमंत्री कोष से केवल 5 लाख रुपए स्वीकृत

देश के कई हिस्सों में इलाज कराने के बाद आखिर अखिल भारतीय आयुविर्ज्ञान संस्थान नई दिल्ली के बालरोग चिकित्सा विभाग की सहायक आचार्य डा. नीरजा गुप्ता ने इस दुलर्भ बीमारी की पुष्टि की है। उन्होंने देव के पिता जगत सिंह को दिए पत्र में इस बात को माना कि देव अति दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी से ग्रसित है और इंडिया में इस बीमारी से लड़ने के लिए अभी दवा ही विकसित नहीं हुई है। अभी तक केवल अमेरिका और कोरिया में ही इसकी वैक्सीन बनी है और इसकी लागत जान कर एक गरीब तो क्या अच्छे-अच्छे रईसजादों के होश उड़ जाएंगे क्योंकि यह वैक्सीन हमेशा के लिए नहीं सिर्फ 1 साल या ज्यादा से ज्यादा 5 साल तक काम करता है और इसकी कीमत 1 करोड़ 92 लाख 77 हज़ार 648 रुपये है। जिसके चलते जगतराम अपने बेटे को वापिस इटावा लेकर आ गए और इसके बाद एम्स की उस रिपोर्ट के साथ जगतराम ने मुख्यमंत्री से लेकर प्रधानमंत्री तक से गुहार लगाई है कि उन्हें पैसे न देकर उन्हें वो (इलेप्रेस) वैक्सीन उपलब्ध करा दी जाए जो अमेरिका और कोरिया की कंपनी बना रही है, हालांकि मुख्यमंत्री कोष से 5 लाख रुपये स्वीकृत हो गए है लेकिन सवाल यह है कि जगतराम को रुपये 5 लाख की ज़रूरत नही बल्कि उस वैक्सीन इंजेक्शन की ज़रूरत है जिसके न मिलने से धीरे-धीरे उसका बेटा उससे दूर जा रहा है।

हंटर सिन्ड्रोम नाम की गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चे की चिकित्सा हेतु पौने दो करोड़ का स्टीमेट होने के बावजूद उसकी चिकित्सा हेतु मात्र 5 लाख रुपए मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से स्वीकृत किए गए हैं जो ऊंट के मुंह में जीरा साबित हो रहे। जिस कारण पीड़ित परिवार अवसाद में है, वह आर्थिक सहायता के लिए अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है।

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