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UP Crime: पत्नी ने दी हत्या की धमकी, बोली- शव नीले ड्रम में भर दूंगी

UP Crime: प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक ने पत्नी पर हत्या की धमकी देने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। पीड़ित का कहना है कि पत्नी घर में घुसने नहीं दे रही और धमकी दी है कि हत्या कर शव को नीले ड्रम में भर देगी या खुदकुशी कर उसे फँसा देगी। बच्चों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडरा रहा है।

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कहा- घर आया तो शव को नीले ड्रम में भर देगी, बच्चों की जान भी खतरे में (फोटो सोर्स : Social Media/X)

कहा- घर आया तो शव को नीले ड्रम में भर देगी, बच्चों की जान भी खतरे में (फोटो सोर्स : Social Media/X)

UP Crime news फर्रुखाबाद जनपद के एक प्राथमिक विद्यालय में कार्यरत शिक्षक ने अपनी पत्नी पर हत्या की धमकी देने का सनसनीखेज आरोप लगाया है। पीड़ित शिक्षक ने गुरुवार को पुलिस अधीक्षक आरती सिंह को शिकायती पत्र देकर आरोप लगाया कि पत्नी उसे घर में घुसने नहीं दे रही और धमकी दे रही है कि यदि वह जबरन घर आया तो उसकी हत्या कर शव को नीले ड्रम में भर देगी। इतना ही नहीं, पीड़ित का कहना है कि पत्नी खुदकुशी कर उस पर झूठा केस दर्ज कराने की भी धमकी देती है।

शिकायत में गंभीर आरोप

नगरिया गिरधर के प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक सुशील कुमार सक्सेना ने बताया कि उनका विवाह वर्ष 2011 में पूनम सक्सेना के साथ हुआ था। शादी के बाद से ही पत्नी के व्यवहार में गंभीर समस्याएं सामने आईं। पीड़ित का कहना है कि ससुराल पक्ष से जानकारी मिली थी कि पत्नी मानसिक रूप से अस्वस्थ है और उसका इलाज भी कराया गया, मगर कोई खास सुधार नहीं हुआ। शिकायत में सुशील कुमार ने बताया कि उनकी पत्नी आए दिन गाली-गलौज करती है और कई बार वह उन्हें पीटने के लिए दौड़ भी चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस संबंध में राजेपुर थाना पुलिस से कई बार शिकायत की गई, मगर पुलिस ने हर बार इसे घरेलू मामला कहकर टाल दिया।

“घर में घुसने नहीं देती, बच्चों पर भी खतरा”

शिकायत में सुशील कुमार ने कहा कि तीन दिन पहले उनकी पत्नी बिना किसी को बताए घर छोड़कर चली गई थी। बहुत तलाश के बाद उन्हें वापस लाया गया, लेकिन अब वह उन्हें घर के अंदर घुसने तक नहीं दे रही हैं। सुशील कुमार का आरोप है कि पत्नी ने हाल ही में यह धमकी दी कि यदि वह घर आया तो उसकी हत्या कर शव को नीले ड्रम में भर देगी। इतना ही नहीं, पत्नी यह भी कहती है कि वह खुदकुशी कर उन्हें फंसा देगी। पीड़ित शिक्षक ने बताया कि वह अपनी जान के साथ-साथ अपने बच्चों की सुरक्षा को लेकर भी बेहद चिंतित हैं। उनका कहना है कि पत्नी की आक्रामक प्रवृत्ति के कारण बच्चों पर भी खतरा मंडरा रहा है।

एसपी से सीधे गुहार

बार-बार शिकायत के बावजूद थाना पुलिस द्वारा कार्रवाई न होने से परेशान होकर सुशील कुमार ने सीधे एसपी आरती सिंह से मुलाकात की और पूरे मामले की जानकारी दी। उन्होंने मांग की कि उन्हें और उनके बच्चों को सुरक्षा प्रदान की जाए तथा पत्नी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।

पुलिस का पक्ष

थानाध्यक्ष कामता प्रसाद ने बताया कि पति-पत्नी के बीच विवाद का मामला वर्तमान में कोर्ट में विचाराधीन है। उन्होंने यह भी कहा कि शिकायत प्राप्त होने के बाद शिक्षक के घर पर सीसीटीवी कैमरे लगवा दिए गए हैं, ताकि किसी भी अप्रिय घटना को रोका जा सके और साक्ष्य सुरक्षित रहें। साथ ही दोनों पक्षों को बैठाकर समझौता कराने की कोशिश की जाएगी।

मानसिक स्वास्थ्य पर भी सवाल

इस मामले में एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि शिक्षक की पत्नी के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खुद परिवार के सदस्यों ने भी सवाल उठाए हैं। यदि सचमुच ऐसा है, तो यह न केवल पति के लिए, बल्कि पूरे परिवार और खासकर बच्चों के लिए खतरनाक स्थिति बन सकती है। मानसिक अस्वस्थता के मामलों में समय रहते उचित इलाज और निगरानी बेहद आवश्यक होती है, अन्यथा विवाद गंभीर अपराध में बदल सकते हैं।

बढ़ते घरेलू विवाद और पुलिस की चुनौती

यह मामला एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि घरेलू विवाद कब तक “घरेलू” माने जाएँ और कब पुलिस को हस्तक्षेप करना चाहिए। अक्सर पति-पत्नी के झगड़ों को सामान्य मानकर पुलिस शिकायत दर्ज नहीं करती, जबकि कई बार ऐसे ही मामूली दिखने वाले झगड़े खतरनाक घटनाओं का रूप ले लेते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में पुलिस को केवल समझाने-बुझाने तक सीमित न रहकर सुरक्षा के ठोस इंतजाम करने चाहिए। यदि किसी पक्ष की ओर से हत्या, आत्महत्या या झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जा रही हो, तो इसे गंभीर अपराध के रूप में दर्ज किया जाना चाहिए।

परिवार और समाज की जिम्मेदारी

घरेलू हिंसा और पारिवारिक विवादों में सिर्फ पुलिस या कोर्ट पर निर्भर रहना पर्याप्त नहीं है। समाज और परिवार के स्तर पर भी मध्यस्थता और मानसिक स्वास्थ्य की जागरूकता की आवश्यकता है। यदि सचमुच पत्नी मानसिक रोग से पीड़ित है, तो इलाज और काउंसलिंग ही एकमात्र समाधान हो सकता है। दूसरी ओर, यदि आरोप झूठे हैं तो न्यायिक प्रक्रिया में सत्य सामने आएगा, लेकिन तब तक किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए एहतियात जरूरी है।

शिक्षक की व्यथा - “जान बचाओ, बच्चों को बचाओ”

सुशील कुमार सक्सेना की व्यथा साफ झलकती है। उनका कहना है, कि “पत्नी आए दिन गाली देती है, मारने दौड़ती है। धमकी देती है कि हत्या कर शव नीले ड्रम में भर देगी या खुदकुशी कर मुझे फँसा देगी। अब तो घर में घुसने भी नहीं दे रही। मुझे अपनी और बच्चों की जान को लेकर डर है। पुलिस से कई बार कहा लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब आखिरी उम्मीद कप्तान साहब से है।”