15 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

आज भगवान नृसिंह जयंती : मनोकामना पूर्ति के लिए करें इस स्तुति का पाठ

वैशाख मास की चतुर्दशी तिथि को भगवान नृसिंह की जयंती मनाई जाती है

2 min read
Google source verification

image

Shyam Kishor

May 06, 2020

आज भगवान नृसिंह जयंती : मनोकामना पूर्ति के लिए करें इस स्तुति का पाठ

आज भगवान नृसिंह जयंती : मनोकामना पूर्ति के लिए करें इस स्तुति का पाठ

आज बुधवार 6 मई वैशाख मास की चतुर्दशी तिथि को भगवान श्री विष्णु के नृसिंह अवतार की जयंती मनाई जाती है। आज ही के दिन धरती को हिरण्याक्ष असुर के आतंक को खत्म करने के लिए श्री भगवान ने आधे मनुष्य और आधे सिंह के रूप में नृसिंह अवतार लिया था। आज के दिन भगवान श्री नृसिंह की इस स्तुति का श्रद्धा पूर्वक पाठ करने से अनेक मनोकामनाओं की पूर्ति होने लगती है।

नृसिंह जयंतीः भय, अकाल मृत्यु का डर, असाध्य रोग से मिलेगा छुटकारा, करें इस पावरफुल मंत्र का जप

।। अथ श्री नरसिंह स्तुति ।।

1- उदयरवि सहस्रद्योतितं रूक्षवीक्षं प्रळय जलधिनादं कल्पकृद्वह्नि वक्त्रम्।

सुरपतिरिपु वक्षश्छेद रक्तोक्षिताङ्गं प्रणतभयहरं तं नारसिंहं नमामि।।

प्रळयरवि कराळाकार रुक्चक्रवालं विरळय दुरुरोची रोचिताशांतराल।

प्रतिभयतम कोपात्त्युत्कटोच्चाट्टहासिन् दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

2- सरस रभसपादा पातभाराभिराव प्रचकितचल सप्तद्वन्द्व लोकस्तुतस्त्त्वम्।

रिपुरुधिर निषेकेणैव शोणाङ्घ्रिशालिन् दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

तव घनघनघोषो घोरमाघ्राय जङ्घा परिघ मलघु मूरु व्याजतेजो गिरिञ्च।

घनविघटतमागाद्दैत्य जङ्घालसङ्घो दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

3- कटकि कटकराजद्धाट्ट काग्र्यस्थलाभा प्रकट पट तटित्ते सत्कटिस्थातिपट्वी।

कटुक कटुक दुष्टाटोप दृष्टिप्रमुष्टौ दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

प्रखर नखर वज्रोत्खात रोक्षारिवक्षः शिखरि शिखर रक्त्यराक्तसंदोह देह।

सुवलिभ शुभ कुक्षे भद्र गंभीरनाभे दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

4- स्फुरयति तव साक्षात्सैव नक्षत्रमाला क्षपित दितिज वक्षो व्याप्तनक्षत्रमागर्म्।

अरिदरधर जान्वासक्त हस्तद्वयाहो दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

कटुविकट सटौघोद्घट्टनाद्भ्रष्टभूयो घनपटल विशालाकाश लब्धावकाशम्।

करपरिघ विमदर् प्रोद्यमं ध्यायतस्ते दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

नृसिंह जयंती : भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार की अद्भुत कथा

5- हठलुठ दल घिष्टोत्कण्ठदष्टोष्ठ विद्युत् सटशठ कठिनोरः पीठभित्सुष्ठुनिष्ठाम्।

पठतिनुतव कण्ठाधिष्ठ घोरांत्रमाला दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

हृत बहुमिहि राभासह्यसंहाररंहो हुतवह बहुहेति ह्रेपिकानंत हेति।

अहित विहित मोहं संवहन् सैंहमास्यम् दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

6- गुरुगुरुगिरिराजत्कंदरांतगर्तेव दिनमणि मणिशृङ्गे वंतवह्निप्रदीप्ते।

दधदति कटुदंष्प्रे भीषणोज्जिह्व वक्त्रे दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

अधरित विबुधाब्धि ध्यानधैयर्ं विदीध्य द्विविध विबुधधी श्रद्धापितेंद्रारिनाशम्।

विदधदति कटाहोद्घट्टनेद्धाट्टहासं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

7- त्रिभुवन तृणमात्र त्राण तृष्णंतु नेत्र त्रयमति लघिताचिर्विर्ष्ट पाविष्टपादम्।

नवतर रवि ताम्रं धारयन् रूक्षवीक्षं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

भ्रमद भिभव भूभृद्भूरिभूभारसद्भिद् भिदनभिनव विदभ्रू विभ्र मादभ्र शुभ्र।

ऋभुभव भय भेत्तभार्सि भो भो विभाभिदर्ह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

8- श्रवण खचित चञ्चत्कुण्ड लोच्चण्डगण्ड भ्रुकुटि कटुललाट श्रेष्ठनासारुणोष्ठ।

वरद सुरद राजत्केसरोत्सारि तारे दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

प्रविकच कचराजद्रत्न कोटीरशालिन् गलगत गलदुस्रोदार रत्नाङ्गदाढ्य।

कनक कटक काञ्ची शिञ्जिनी मुद्रिकावन् दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

9- अरिदरमसि खेटौ बाणचापे गदां सन्मुसलमपि दधानः पाशवयार्ंकुशौ च।

करयुगल धृतान्त्रस्रग्विभिन्नारिवक्षो दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

चट चट चट दूरं मोहय भ्रामयारिन् कडि कडि कडि कायं ज्वारय स्फोटयस्व।

जहि जहि जहि वेगं शात्रवं सानुबंधं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

नृसिंह जयंतीः भगवान नृसिंह की आरती स्तुति

10- विधिभव विबुधेश भ्रामकाग्नि स्फुलिङ्ग प्रसवि विकट दंष्प्रोज्जिह्ववक्त्र त्रिनेत्र।

कल कल कलकामं पाहिमां तेसुभक्तं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

संबंधित खबरें

कुरु कुरु करुणां तां साङ्कुरां दैत्यपूते दिश दिश विशदांमे शाश्वतीं देवदृष्टिम्।

जय जय जय मुर्तेऽनार्त जेतव्य पक्षं दह दह नरसिंहासह्यवीर्याहितंमे।।

11- स्तुतिरिहमहितघ्नी सेवितानारसिंही तनुरिवपरिशांता मालिनी साऽभितोऽलम्।

तदखिल गुरुमाग्र्य श्रीधरूपालसद्भिः सुनिय मनय कृत्यैः सद्गुणैर्नित्ययुक्ताः।।

लिकुच तिलकसूनुः सद्धितार्थानुसारी नरहरि नुतिमेतां शत्रुसंहार हेतुम्।

अकृत सकल पापध्वंसिनीं यः पठेत्तां व्रजति नृहरिलोकं कामलोभाद्यसक्तः।।

।। इति श्री नरसिंह स्तुतिः संपूर्णम् ।।