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घरों से निकलने वाले कचरे से हर महीने लाखों की कमाई करने वाला यूपी का पहला शहर बना गाजियाबाद

शहर में घरों से निकलने वाले कचरे से लाखों रुपये कमाने वाला गाजियाबाद नगर निगम उत्तर प्रदेश का पहला निगम है। तीन महीने पहले शुरू किए गए पायलट प्रोजेक्ट के तहत अब नगर निगम को हर महीने घरों से निकलने वाले कचरे को बेचकर 22 लाख रुपये की आय हो रही है।

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घरों से निकलने वाले कचरे से हर महीने लाखों की कमाई करने वाला यूपी का पहला शहर बना गाजियाबाद।

गाजियाबाद नगर निगम कचरा बेचकर आय प्राप्त करने वाला यूपी का पहला निगम बन गया है। गाजियाबाद नगर निगम हर महीने घरों से निकलने वाले कूड़े से 22 लाख रुपए की कमाई कर रहा है। इस पायलट प्रोजेक्ट के कामयाब होने के बाद अब नगर निगम ने सूखा कूड़ा बेचने की योजना को बाजार में खुली प्रतिस्पर्धा में उतारने का निर्णय लिया है। यानी अब इसका भी बाकायदा टेंडर जारी किया जाएगा। जिसकी न्यूनतम बोली 22 लाख रुपये प्रति माह निर्धारित की गई है। इतना ही नहीं टेंडर में यह भी शर्त रखी गई है कि जिस रकम का टेंडर छूटेगा हर साल उसमें 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी भी होगी। साथ ही 750 मीट्रिक टन से अधिक कूड़ा निकलता है तो कंपनी को टेंडर की रकम के अनुपात में ही अतिरिक्त भुगतान करना होगा।

गाजियाबाद नगर निगम ने घरों से निकलने वाले कूड़े से कमाई करने के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी। इसके तहत नगर निगम जहां एक तरफ गीले कूड़े से खाद बना रहा है तो वहीं दूसरी तरफ सूखा कूड़ा बेचकर धनराशि भी अर्जित कर रहा है। आंकड़ों के मुताबिक, नगर निगम हर महीने 750 मीट्रिक टन कूड़ा बेचकर 22 लाख रुपए की कमाई कर रहा है। इस प्रोजेक्ट के कामयाब होने के बाद अब नगर निगम ने इसे बाकायदा कंपनियों को टेंडर दिए जाने की योजना तैयार की है। टेंडर दिए जाने के बाद और आय बढ़ने की संभावना है।

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तीन महीने पहले की थी पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत

नगर आयुक्त महेंद्र सिंह तंवर ने बताया कि कुछ समय पहले सूखे कूड़े को ऐसे ही दे दिया जाता था। तीन महीने पहले इस व्यवस्था में कुछ परिवर्तन करते हुए पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। जिसके तहत सूखे कूड़े के रूप में इकट्ठा होने वाले एलुमिनियम के कैन, कांच की बोतल, गत्ता और कई तरह की अन्य प्लास्टिक व पॉलीथिन समेत बड़ी मात्रा में कूड़ा एकत्र होता है।

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जल्द आमंत्रित किया जाएगा टेंडर

उन्होंने बताया कि शहर में करीब 750 मीट्रिक टन सूखा कूड़ा हर महीने निकलता है। जिसे बाजार में बेचकर 22 लाख रुपए की प्राप्ति हो रही है। इसलिए अब यह निर्णय लिया गया है कि इसे खुली प्रतिस्पर्धा में उतारते हुए कंपनियों को टेंडर के लिए आमंत्रित किया जाएगा।