दरअसल, गाजियाबाद के संजय नगर स्थित जिला अस्पताल में एक महिला को एक परिवार द्वारा प्रसव पीड़ा के लिए एडमिट कराया गया था। महिला ने शनिवार को करीब 3 बजे के आसपास एक बच्चे को जन्म दिया। नर्स ने महिला के पति और परिजनों को बताया कि उनके यहां बेटे ने जन्म लिया है, लेकिन बच्चे को परिवार वालों को नहीं दिखाया गया। जैसे ही बेटे के जन्म लेने की सूचना पति व अन्य परिजनों को मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह एक-दूसरे को बधाई देने लगे और फोन पर अपने रिश्तेदारों को भी यह खुशखबरी सुनाई। इतना ही नहीं परिजनों ने अस्पताल में मिठाई भी बंटवा दी।
इसी बीच माहौल एकाएक उस वक्त खराब हो गया। जब परिजनों को करीब ढाई घंटे बाद यह सूचना दी गई कि उनके यहां बेटे ने नहीं, बल्कि बेटी ने जन्म लिया है। यह सुनते ही परिजनों का गुस्सा आसमान पर चढ़ गया। पति समेत सभी परिजनों ने इकट्ठा होकर अस्पताल में हंगामा करना शुरू कर दिया। काफी देर तक हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा। इस दौरान अस्पताल के कर्मचारियों ने हंगामा कर रहे परिजनों को पुलिस बुलाने की धमकी भी दी। हंगामा कर रहे परिजनों ने आरोप लगाया कि उनके बच्चे को बदल दिया गया है।
हंगामे की सूचना मिलते ही अस्पताल के बड़े चिकित्सक और अधिकारी मौके पर पहुंचे और हंगामा कर रहे लोगों को काफी शांत करने का प्रयास किया, लेकिन परिजनों ने उनकी एक नहीं सुनी। बच्चे के परिजनों ने अस्पताल के आला अधिकारियों और चिकित्सकों से डीएनए टेस्ट कराए जाने की मांग कर डाली। इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया कि एक महिला ने अस्पताल में एक बच्चे को जन्म दिया था। महिला के परिजनों का आरोप है कि उनका बच्चा बदला गया है। इस बात को लेकर यह कुछ लोगों ने हंगामा भी किया है। उनके द्वारा बच्चे के डीएनए टेस्ट कराने की मांग की जा रही है। फिलहाल मामले को गंभीरता से लेते हुए गहन जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि उचित समझा गया तो बच्चे का डीएनए भी टेस्ट कराया जाएगा।
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