पीएम नरेन्द्र मोदी ने संत कबीर की समाधि स्थल पर फूल चढ़ाया था और फिर संत कबीर की मजार पर चादर चढ़ायी थी। इसके बाद उन्होंने एक सार्वजनिक सभा को संबोधित किया था। इस दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने कबीर दास के दोहे भी पढ़े थे। पीएम नरेन्द्र मोदी ने भाषण में कहा था कि यहां पर संत कबीर, गुरु नानकदेव और गोरखनाथ ने बैठ कर आध्यात्मिक चर्चा की थी। यह बात पुरानी थी इसलिए लोग इस गलती को नहीं पकड़ पाये। बाद में पता चला कि ऐतिहासिक रुप से सही नहीं है। ऐतिहासिक तथ्यों को देखा जाये तो नाग संप्रदाय की स्थापना बाबा गोरखनाथ ने की थी। बाबा गोरखनाथ का जन्म 11 वीं शताब्दी में हुआ है। संत कबीर का जन्म 14 वीं व गुरु नानक का समय 15वीं व 16 वीं शताब्दी था। संत कबीर 120 साल तक जीवित थे। ऐसे में बाबा गोरखनाथ व गुरु नानक आपस में मिल सकते थे लेकिन इनसे 200 साल पहले आये गोरखनाथ से मुलाकत होना संभव नहीं दिखता है।
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पीएम नरेन्द्र मोदी को कहा से मिलती है इन तथ्यों की जानकारी
पीएम नरेन्द्र मोदी का शब्दकोश व जानकारी की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। पीएम नरेन्द्र मोदी जब भाषण देते हैं तो कई नयी जानकारी भी मिलती है। बड़ा सवाल है कि इतिहास से जुड़ी जानकारी पीएम नरेन्द्र मोदी को कौन देता है। पीएम खुद ही सर्च इंजन से इन जानकारियों को जुटाते हैं या फिर उनकी टीम के लोगों पर यह जानकारी देने की जिम्मेदारी होती है। फिलहाल पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा मगहर में दिये गये भाषण को लेकर चर्चाओं को बाजार गर्म हो गया है।
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पीएम नरेन्द्र मोदी का शब्दकोश व जानकारी की तुलना किसी से नहीं की जा सकती है। पीएम नरेन्द्र मोदी जब भाषण देते हैं तो कई नयी जानकारी भी मिलती है। बड़ा सवाल है कि इतिहास से जुड़ी जानकारी पीएम नरेन्द्र मोदी को कौन देता है। पीएम खुद ही सर्च इंजन से इन जानकारियों को जुटाते हैं या फिर उनकी टीम के लोगों पर यह जानकारी देने की जिम्मेदारी होती है। फिलहाल पीएम नरेन्द्र मोदी द्वारा मगहर में दिये गये भाषण को लेकर चर्चाओं को बाजार गर्म हो गया है।
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