
MP Election 2023 : चाचौड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह पीछे
मध्य प्रदेश के ग्वालियर संभाग के अंतर्गत आने वाले गुना जिले की चाचौड़ा विधानसभा सीट प्रदेश की हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। रविवार को जारी मतगणना में शुरुआती रुझान सामने आने लगे हैं। चाचौड़ा से कांग्रेस प्रत्याशी लक्ष्मण सिंह पीछे चल रहे हैं।
हालांकि, इस सीट पर दिग्विजय सिंह के परिवार का होल्ड रहता है। इसी के चलते दिग्विजय परिवार का कोई सदस्य या फिर इस परिवार का समर्थक नेता ही इस सीट पर चुनाव जीतता है। फिलहाल, इस सीट पर दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह विधायक हैं। इस बार भी कांग्रेस ने उन्हीं को यहां से उम्मीदवार बनाकर मैदान में उतारा है। लेकिन इस बार इस सीट पर भाजपा और आम आदमी पार्टी द्वारा उतारे गए उम्मीदवार कांग्रेस के लक्ष्मण के लिए कड़ी चुनौती साबित हो सकते हैं।
17 नवंबर को संपन्न हुए चुनाव में चाचौड़ा विधानसभा सीट पर 81.23 फीसदी की वोटिंग दर्ज की गई है। वहीं, बात करें 2018 के वोट प्रतिशत की तो पिछली बार इस सीट पर 80.91 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2013 में यहां 74.26 प्रतिशत वोट पड़े थे। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता इस सीट से किस उम्मीदवार को चुनकर मध्य प्रदेश की विधानसभा पहुंचाती है।
विधानसभा के समीकरण
इस बार लक्ष्मण सिंह कठिन मुकाबले में फंसे हैं। भले ही 2018 में वो चुनाव जीत चुके हों, लेकिन इस सीट पर मीणा समाज का बड़ा होल्ड है, जो कांग्रेस के लिए मुसीबत साबित हो सकता है। भाजपा ने इस सीट पर प्रियंका मीणा को उम्मीदवार बनाकर चुनावी मैदान में उतारा है, जिससे खफा होकर बीजेपी नेता और पूर्व विधायक ममता मीणा ने आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर ली और अब इसी के टिकट पर एक बार फिर मैदान में उतर गई हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रियंका और ममता मीणा के एक सात मैदान में आने से लक्ष्मण सिंह का वोट बैंक डगमगा सकता है।
जानें चाचौड़ा का राजनीतिक इतिहास
इस विधानसभा सीट के राजनीतिक इतिहास पर गौर करें तो ये सीट 1951 से अस्तित्व में आई थी। इस सीट पर अमूमन कांग्रेस का ही कब्जा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह 1994 में चाचौड़ा सीट से उपचुनाव में विधायक चुनकर ही विधानसभा पहुंचे थे। फिर वो प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। दिग्विजय सिंह के लिए तब के विधायक शिवनारायण मीणा ने ये सीट छोड़ दी थी। शिवनारायण मीणा चाचौड़ा सीट पर 4 बार (1993, 1998, 2003 और 2008) चुनाव जीत चुके हैं। 1990 में बीजेपी को इस सीट से पहली बार जीत मिली थी। इसके बाद 2013 के चुनाव में बीजेपी को जीत मिली। उस चुनाव में ममता मीणा ने कांग्रेस के 4 बार के विधायक शिवनारायण मीणा को 34,901 वोटों के बड़े अंतर से चुनाव हराया था।
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कांग्रेस के लक्ष्मण सिंह
कांग्रेस पार्टी की ओर से इस बार रके विधानसभा चुनाव में मौजूदा विधायक और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के छोटे भाई लक्ष्मण सिंह को ही उम्मीदवार बनाया गया है।
भाजपा की प्रियंका मीणा
कांग्रेस से पूर्व राज्य मंत्री और विधायक रहे हरभजन सिंह मीणा की बहू प्रियंका मीणा इसी साल फरवरी महीने में अपने साथ करीब 450 कार्यकर्ताओं को लेकर भाजपा में शामिल हो गईं थी। प्रियंका मीणा का भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका माना गया था। अब भाजपा ने इस सीट पर प्रियांका मीणा को ही अपना उम्मीदवार बनाया है।
चाचौड़ा विधानसभा के मतदाता
चाचौड़ा का विधानसभा क्रमांक 30 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 37 हजार 107 है। इनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 1 लाख 23 हजार 820 है। वहीं, महिला मतदाता 1 लाख 13 हजार 284 हैं।
चाचौड़ा विधानसभा की जनता की आवाज
- रीवा का मऊगंज, छिंदवाड़ा का पाढूर्णा सतना के मैहर नया जिला बनाया जा चुका है। वहीं, उज्जैन के नागदा को भी नया जिला बनाने की घोषणा हो गई है। वहीं, दूसरी तरफ पिछले कई वर्षों से गुना जिले का चाचौड़ा को भी नया जिला बनाने की मांग की जा रही है।
- विधानसभा का ज्यादातर हिस्सा कुंभराज, मधुसूदनगढ़, बीनागंज और चांचौड़ा के आसपास गांवों में ही बसता है। यहां विकास में तेजी न आने की वजह लोग चांचौड़ा के जिला न बनने को मानते हैं।
- चांचौड़ा वासियों का आरोप है कि क्षेत्र का सबसे बड़ा मुद्दा बताते हुए कहा कि, कुछ असामाजिक तत्वों द्वारा राजस्थान से नशीली सामग्री लाकर यहां खपाई जाती है। इससे युवा पीढ़ी बर्बादी की कगार पर आती जा रही है। क्षेत्र के जिम्मेदार को इसपर एक्शन लेना चाहिए।
- खटकिया के लोगों ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि 'चौमासा है, हमारे गांव में श्मशान घाट तक नहीं है। खुले में शव जलाना पड़ता है।
- गांव में पीने के पानी तक के लिए नल-जल योजना तक नहीं हैं। कुएं और हेंडपम्प से पानी भरकर गुजारा करने को मजबूर हैं।
- कुटीर न मिलने से भी लोग काफी परेशान हैं।
- चाचौड़ा क्षेत्र में एक बड़ा मुद्दा जल संकट भी है। बीनागंज इलाके की पेयजल संकट के निजात के लिए बिछाई जाने वाली मुख्यमंत्री पेयजल योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गईं।
- चाचौड़ा का बायपास अभी तक नहीं बना है। मधुसूदनगढ़ की बड़ी समस्या बस स्टैंड न होना है।
- कुंभराज में रोजगार की सबसे बड़ी समस्या है। विधानसभा में रोजगार का अभाव होने के कारण लोगों को अहमदाबाद, सूरत और दिल्ली जाना पड़ता है।
- बेरोजगारी दूर हो, इसके लिए बड़ा प्रोजेक्ट सरकार को यहां शुरू करना चाहिए।
इस बार हर सीट पर कांटे की टक्कर
6 जनवरी 2024 को मध्यप्रदेश विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। उससे पहले 3 दिसंबर को चुनाव आयोग नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया को पूरा कर लेगा। 17 नवंबर को पूरे प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। चुनाव से पहले अबतक सामने आए सर्वेक्षणों में ये पता चला है कि इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच हर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
Updated on:
03 Dec 2023 10:07 am
Published on:
03 Nov 2023 07:51 pm
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