
(गुवाहाटी,राजीव कुमार): ''जहाँ चाह है वहाँ राह है'', असम की 12 वर्षीय उपासा तालुकदार ने यह साबित कर दिखाया। यू-टयूब से वीडियो देखकर जिमनास्टिक का प्रशिक्षण लेने वाली उपासा ने खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 में कांस्य पदक हासिल किया हैं।
यह जीत हासिल करके उपासा ने राज्य की व्यवस्था को भी आइना दिखाया है। असम में जिमनस्टिक प्रशिक्षण की सुविधा नहीं है, प्रशिक्षक नहीं है, ढांचागत सुविधाएं नहीं है। इसके बाद भी सबको हैरत में डालते हुए उपासा ने असम को सफलता दिलाई। सत्रह साल से कम आयु वर्ग की रिडमिक जिमनास्टिक प्रतियोगिता में अपने बेहतर प्रदर्शन से कांस्य का पदक हासिल किया है। पूर्वोत्तर का एक भी खिलाड़ी इसमें हिस्सा नहीं ले सका है। असम को 1992 में दीपान्विता दास ने जिमनास्टिक में राष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिलाई थी। 28 साल के लंबे इंतजार के बाद उपासा ने सफलता दिलाई है।
यूं जागी लगन...
दूरदर्शन में जिमनास्टिक को देखते-देखते उपासा को इससे लगाव हो गया था। गुवाहाटी के उलूबाड़ी के व्यवसायी निकुंज तालुकदार और डाक्टर मां शेवाली डेका तालुकदार की संतान उपासा के इस लगाव की बात माता-पिता को बचपन में ही पता चल गई थी। घर पर ही वह एक-दो जिमनास्टिक के खेल खेलती। तभी एक जिमनास्ट की नजर उपासा पर पड़ी। उन्होंने उपासा को देखकर जिमनास्टिक में हाथ आजमाने की सलाह दी।
कोई कोच नहीं...
जब उपासा की उम्र नौ साल थी तब माता-पिता जिमनास्टिक के प्रशिक्षण के लिए ले गए। लेकिन रिडमिक जिमनास्टिक का प्रशिक्षक नहीं है। तब इन लोगों ने यू-ट्यूब का सहारा लिया। रिडमिक जिमनास्टिक बेहद कठिन है। उने बेहद मुश्किल का सामना करना पड़ा। सीबीएसई ने राष्ट्रीय स्तर पर रिडमिक जिमनास्टिक प्रतियोगिता आयोजित की तो उपासा को दो स्वर्ण और एक रजत पदक मिला। तभी से माता-पिता का हौसला बढ़ा। माता-पिता का कहना है कि सरकार को राज्य में जिमनास्टिक के लिए पर्याप्त ढांचागत इंतजाम करना चाहिए।
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Published on:
12 Jan 2020 06:32 pm
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