
फोटो सोर्स: पत्रिका
MP News: हाईकोर्ट की युगल पीठ ने चार साल से झगड़ रहे दंपती को मिलाने की अनोखी पहल की। कोर्ट ने दोनों को 30 दिन साथ रहने की सलाह दी और दोनों मान गए। साथ रहने के बाद दोनों के बीच के जख्म भर गए और विवाद को भुला दिया। 9 अक्टूबर को हाईकोर्ट में दोनों फिर से उपस्थित हुए।
उन्होंने कहा कि दोनों साथ रहना चाहते हैं और अब तलाक नहीं चाहिए। एक दूसरे के खिलाफ दर्ज कराए प्रकरण वापस लेंगे और पत्नी भरण पोषण की राशि पति को वापस करेगी। न्यायमूर्ति आनंद पाठक और न्यायमूर्ति पुष्पेंद्र यादव की पीठ ने कहा कि जब दोनों पक्ष आपसी सहमति से एक साथ रहना चाहते हैं, तो न्यायालय का उद्देश्य भी पारिवारिक जीवन में शांति और स्थायित्व स्थापित करना है।
दरअसल प्रभाकर व रचना (परिवर्तित नाम) के बीच छोटी-छोटी बातों को लेकर विवाद होने लगा और 2022 में दोनों अलग हो गए। इसके बाद कुटुंब न्यायालय भिंड में तलाक का आवेदन दायर किया, जिसे भिंड कोर्ट ने 2023 में खारिज कर दिया। प्रभाकर ने हाईकोर्ट में हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13 के तहत तलाक की याचिका दायर की थी। सुनवाई के दौरान न्यायालय ने 3 सितंबर 2025 को दोनों पक्षों को एक महीने तक साथ रहने का निर्देश दिया था, ताकि वे आपसी मतभेद सुलझा सकें।
एक माह बाद दोनों पक्ष अदालत में उपस्थित हुए और कहा कि वे साथ रहना चाहते हैं। पत्नी ने कुछ मामूली शिकायतें रखीं, लेकिन अदालत ने कहा कि वैवाहिक जीवन में ऐसी बातें आपसी समझ और सहनशीलता से हल की जा सकती हैं।
-पत्नी पति के खिलाफ दायर सभी आपराधिक और दीवानी प्रकरण 15 दिनों में वापस लेंगी।
-पति द्वारा जमा कराई गई स्थायी भरण-पोषण राशि की वापसी की जाएगी।
-दोनों पति-पत्नी आपसी शांति और सम्मान के साथ साथ रहेंगे तथा एक-दूसरे को किसी भी प्रकार की प्रताडऩा नहीं देंगे।
Published on:
12 Oct 2025 05:54 pm
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