वर्ष 1985 में व्याख्याता के रूप में, जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर के गणित और संबद्ध विज्ञान के स्कूल में शामिल हुईं, 1987 में रीडर बनीं और फिर 1998 में प्रोफेसर। वर्ष 1989 में इम्पीरियल कॉलेज, लंदन में पोस्ट डॉक्टरल फेलो के रूप में काम करने के लिए नेहरू शताब्दी ब्रिटिश (कॉमनवेल्थ) फैलोशिप से उन्हें सम्मानित किया गया। उसके मार्गदर्शन में 10 स्टूडेंटस ने पीएचडी की है और और पैंतीस ने एमफिल। विभिन्न शोध पत्रिकाओं में उनके छत्तीस शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। उसने कई सम्मेलन और कार्यशालाएं आयोजित की हैं। उन्होंने विभिन्न सम्मेलनों में आमंत्रित व्याख्यान दिए और कई कार्यशालाओं और संगोष्ठियों में भाग लिया।
डॉ. रेणु जैन वर्तमान में स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स एंड एलाइड साइंसेज के प्रमुख और सह-समन्वयक M.Sc. (कंप्यूटर साइंस) के रूप में कार्यरत हैं। वर्तमान में वे जीवाजी विश्वविद्यालय के SHAW सेल की अध्यक्षता कर रही हैं। साथ ही वे छह अकादमिक सोसाइटियों में प्रमुख पदों पर हैं। वे विक्रम यूनिवर्सिटी के विक्रम जर्नल ऑफ मैथेमेटिक्स के संपादकीय बोर्ड की सदस्य भी हैं। साथ ही ग्वालियर के गणितीय विज्ञान अकादमी के उपाध्यक्ष हैं। वे कई अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं से भी संबंद्ध हैं।
विवि में धारा-52
24 जून को इंदौर विवि में धारा-52 लगने के बाद से यह पद खाली था। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के हस्ताक्षर से आदेश जारी हुआ है। जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर में स्कूल ऑफ मैथमेटिक्स की प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष हैं। अब उन्हें देवी अहिल्याबाई विश्वविद्यालय इंदौर की कुलपति बनाया गया है। उनके परिवार में खुशी का माहौल है। जानने वाले उन्हें बधाई दे रहे हैं।
शैक्षिणिक गुणवत्ता सुधारने पर रहेगा ध्यान
बधाई देने वालों के लगा तांता
रेणु जैन को देवी अहिल्याबाई विवि का कुलपति बनाये जाने का आदेश जारी होते ही विवि सहित उनके परिचितों द्वारा बधाई दी जा रही है। रेणु जैन शुक्रवार को फ्लाइट से इंदौर रवाना होंगी।