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रथ पर सवार होकर निकले भगवान जगन्नाथ, उमड़े श्रद्धालु

locationग्वालियरPublished: Jul 04, 2019 05:27:06 pm

Submitted by:

monu sahu

कुलैथ में निकाली गई भगवान जगन्नाथ की शोभायात्रा

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रथ पर सवार होकर निकले भगवान जगन्नाथ, उमड़े श्रद्धालु

ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले ( Gwalior ) के कुलैथ क्षेत्र में भगवान जगन्नाथ ( Jagannath Rath yatra ) की शोभायात्रा निकाली गई। इस दौरान भक्तों में खूब उत्साह देखा गया। कुलैथ के जगन्नाथ ( Jagannath Rath Yatra ) मंदिर से निकाली गई रथ यात्रा ( Rath Yatra ) बाबा के आश्रम पहुंची। यहां श्रद्धालुओं ने कुछ देर विश्राम कर भगवान जगन्नाथ की यात्रा (rath yatra 2019 ) रवाना हुई । इस मौके पर चंबल सहित विभिन्न स्थानों के साधु संत भगवान जगन्नाथ शोभायात्रा में शमिल हुए।
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शहर से महज 20 किलोमीटर दूर कुलैथ गांव में भगवान जग्गनाथ का एक मंदिर है। इस मंदिर में भी एशिया के तर्ज पर बड़े धूमधाम धाम से रथ यात्रा निकली जाता है। लेकिन आपको जानकर बड़ी हैरानी होगी की जब भगवान जगन्नाथ की यहां रथ यात्रा निकाली जाती है उस वक्त 7 कलश के अंदर चावल को पकाया जाता है और जब रथ यात्रा चारों तरफ घूमकर लौट के मंदिर के पास आती है तो उस दौरान कलश को भगवान के आगे रखा जाता है। माना जाता है की कलश को भगवान जग्गनाथ और बलदाऊ,देवी सुभद्रा के सामने इन 7 कलश को रखा जाता है और कुछ देर के बाद सभी कलश अपने आप टूट जाते हैं। मिट्टी के इस कलश का टूटना अपने आप में एक चमत्कार है। इतना ही नहीं यहां 173 साल से मंदिर में अपने आप चावल का मटका फट जाता है।
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मूर्ति में है भगवान का वास
संत सावलेदास जगन्नाथ जी के बड़े भक्त थे और बचपन से ही भगवान जगन्नाथ की अनन्य भक्ति के चलते उन्होंने कुलैथ ग्राम से उड़ीसा स्थित जगन्नाथपुरी तक की सात बार कनक दंडवत परिक्रमा की। मंदिर के पुजारी किशोरीलाल श्रीवास्तव के बेटे भानू श्रीवास्तव की मानें तो भगवान जगन्नाथ जी ने संत सावलेदास को स्वप्न में दर्शन देकर कहा कि वह कुलैथ ग्राम में मंदिर बनाएं। सांक नदी में चंदन की लकड़ी बहती हुई मिलेंगी उनसे मूर्ति की स्थापना करें। संत सावलेदास ने कहा कि वह कैसे मानें कि मूर्ति में भगवान का वास है तो स्वप्न में ही भगवान ने कहा कि मूर्ति के सामने जब चावलों से भरा घट लेकर भोग लगाओगे तो घट चार भाग में स्वयं फूट जाएगा। संत सावलेदास दूसरे दिन जब सांक नदी के किनारे बैठे थे तभी तीन चंदन की लकड़ी बहती हुई वहां आ गईं। इन लकडिय़ों को लेकर वे गांव में आए और गांव वालों को पूरी बात बताई। संत सावलेदास की बात सुनकर गांव वालों ने उन्हें मंदिर बनाकर भगवान जगन्नाथ की पूजा-अर्चना करने के लिए कहा। इसके बाद उन्होंने गांव में भगवान जगन्नाथ जी का मंदिर बनाया। हर साल जब जगन्नाथ जी की यात्रा उड़ीसा में निकलती है उसी दिन कुलैथ में भी भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा निकाली जाती है।
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कुलैथ के लिए रवाना होते हैं भगवान
कुलैथ गांव के लगभग 173 साल पुराने इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ सुभद्रा और बलभद्र की रथ यात्रा ठीक उसी दिन आयोजित की जाती है, जिस दिन पुरी में इसका आयोजन होता है। परंपरा है कि पुरी में यात्रा के दौरान जब कुलैथ प्रस्थान का मुहूर्त आता है तो बाकायदा घोषणा की जाती है कि अब भगवान अपनी बहन और दाऊ के साथ कुलैथ रवाना हो रहे हैं।
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jagannath rath yatra 2019 gwalior
भात भरकर लगता है भोग
भगवान जगन्नाथ को मिट्टी के घड़ों में भात भरकर भोग लगाया जाता है और घट तुंरत ही फट जाते हैं। यह भोग लोगों को लुटाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ के भात का एक दाना भी यदि कोई अपने खाद्यानों में रखे तो उसके यहां कभी भी अनाज की कमी नहीं रहेगी।
संत सावलेदास की तीसरी पीढ़ी के किशोरीलाल श्रीवास्तव अभी मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। कुलैथ के मुख्य पुजारी ने बताया कि 1816 से 1844 तक महज 9 वर्ष की बाल अवस्था में उनके पूर्वज सांबलदास जी लगातार कनक दंडवत करते हुए 7 बार पुरी की यात्रा की। उनकी भक्ति से गदगद होकर भगवान जगन्नाथ कुलैथ में उनके साथ आ गए। आज भी कुलैथ में भगवान जगन्नाथ के चमत्कारों को देखा व महसूस किया जा सकता है। ऐसी मान्यता है कि पुरी में जब तक प्रभु का अवतार नहीं होगा,तब तक उनकी शक्ति यथावत बनी रहेगी।
jagannath rath yatra 2019 gwalior
रथयात्रा उत्सव शुरू
ग्वालियर से 20 किमी दूर स्थित ग्राम कुलैथ में जगन्नाथ जी का विशाल मेला एवं दो दिवसीय रथयात्रा उत्सव 4 और 5 जुलाई को आयोजित किया जाएगा। मंदिर पुजारी किशोरीलाल श्रीवास्तव ने बताया कि 4 जुलाई को सुबह 9 बजे हनुमान जी की उपासना के साथ उत्सव का शुभारंभ होगा। हवन पूजन के उपरांत शाम 4 बजे जगन्नाथ जी को चावल के भोग रथयात्रा निकाली जाएगी, जो रथयात्रा पूरे कुलैथ में घूमते हुए मेला मैदान यानी जनकपुरी पहुंचेगी। यहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ रात्रि विश्राम करेंगे। दूसरे दिन 5 जुलाई को पुन: जगन्नाथ जी के चावल भरे घड़े का भोग लगाकर शाम 6 बजे जगन्नाथ जी मेला मैदान से अपने मूल स्थान मंदिर रथयात्रा के रूप में वापस लौटेगी।

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