विवेक नारायण शेजवलकर ने महापौर पद से 5 जून को इस्तीफा दिया था, लेकिन शासन ने इसे स्वीकार नहीं किया था। दरअसल अगर शासन पहले स्वीकार कर लेता तो महापौर के कार्यकाल में 6 महीने से अधिक का समय बचता, ऐसे में शासन को चुनाव कराना पड़ते। जिसके कारण ही महापौर का इस्तीफा नगरीय विकास एवं आवास विभाग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया था। 16 जुलाई को महापौर का इस्तीफा स्वीकार किया गया है। अब महापौर के कर्तव्यों के पालन के लिए यह जिम्मेदारी किसी पार्षद को दी जाएगी।
रंजिश के चलते मां को मारी गोली, बेटे के सिर पर दे मारा डंडा
कांग्रेस पार्षदों में नेता प्रतिपक्ष कृष्णराव दीक्षित और उप नेता प्रतिपक्ष चतुर्भुज धनोनिला इसके लिए प्रबल दावेदार हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया बुधवार को शहर आए तो कांग्रेस पार्षदों ने मिलकर दावेदारी पेश की और अपने अपने नाम पर मुहर लगाने की मांग की। शासन द्वारा जल्द ही इस पर निर्णय लिया जा सकता है। मंत्री और अन्य नेताओं ने भी अपने अपने पार्षद को महापौर बनाने के लिए सिंधिया के सामने अर्जी लगाई है।