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देखें वीडियो : रिश्ते हुए तार-तार, चाचा में पड़े कीड़े तो परिवार ने किया ये हाल ?

देखें वीडियो : रिश्ते हुए तार-तार, चाचा में पड़े कीड़े तो परिवार ने किया ये हाल ?

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old man thrown out from his home

देखें वीडियो : रिश्ते हुए तार-तार, पिता में पड़े कीड़े तो परिवार ने किया ये हाल ?

ग्वालियर/भिण्ड । भाई, बहन, भतीजे आदि रिश्ते मरने के बाद तो छूट ही जाते हैं लेकिन इन्हीं रिश्तों पर जब जीतेजी मतलब की धुंध छा जाए तो इसे अमानवीयता की पराकाष्ठा ही कहा जाएगा। जी हां भिण्ड जिले के अटेर निवासी ६४ वर्षीय मिथलेश कुमार चौबे पुत्र प्रयागदत्त चौबे को उनके अपनों ने तब लावारिश हाल में छोड़ दिया जब उन्हें परिवार के बेहद जरूरत है ।

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मिथलेश कुमार चौबे के अनुसार १५ दिन पूर्व वे एक टीले से गिर गए थे जिससे उनके हाथ की उंगलियों की गाईयों में जख्म हो गए थे। पाई-पाई के लिए मोहताज मिथलेश चौबे के जख्मों का समय पर इलाज नहीं कराए जाने से उनमें इन्फेक्शन हो गया जिससे जख्मों में कीड़ पडऩे लगे। उनकी हालत बदतर होना शुरू हुई तो परिजनों ने तीन दिन पूर्व उन्हें ले जाकर लावारिश हाल में सडक़ पर मरने के लिए छोड़ दिया। सोमवार सुबह करीब ९:३० बजे बेहोशी की अवस्था में बुजुर्ग को रोड पर पड़ा देखा तो डायल १०० वाहन के कर्मचारी उसे वाहन में बिठाकर जिला अस्पताल ले गए जहां उसका इलाज शुरू किया गया ।

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शरीर के अंगों में कीड़े पड़े तो भाई और भतीजों ने कर लिया किनारा

मिथलेश चौबे बताते हैं कि उन्हें क्या पता था कि स्वार्थ रिश्तों और मानवता पर भी भारी पड़ जाएगा। समय पर इलाज नहीं मिल पाने से उंगलियों की गाइयों के घाव में कीड़े पड़ जाने से असहनीय बदबू भी आने लगी थी। ऐसे में उसकी देखरेख करने के बजाए परिजनों ने भिण्ड मार्ग पर लावारिश हाल में छोड़ दिया जहां से उसे डायल १०० वाहन में तैनात कर्मी उसे अस्पताल में भर्ती करवा गए। मिथलेश चौबे के हालात पर किसी शायर की चार लाइनें खूब फबतीं हैं कि न जाने ये जिंदगी कहां ले जाए मुझे। कि कोई समझ भी न पाए मुझे।। अब मैं रिश्तों से दूर निकल आया हूं। कोई रिश्तों की तहजीब न सिखलाए मुझे ।

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पांच बीघा जमीन के थे मालिक, भतीजों को औलाद मान उनके नाम कर दी जमीन

मिथलेश चौबे के अनुसार उनके दो छोटे भाई हैं सुरेश चौबे एवं हरिओम चौबे जबकि एक बड़े भाई भी हैं रमेश कुमार चौबे। तीनों ही भाईयों के छह बेटे हैं। दो बहनें भी हैं जिनकी संपन्न परिवारों में ससुराल है। मिथलेश चौबे बताते हैं कि उनकी शादी नहीं हुई थी तो भाईयों के बच्चों को ही अपनी औलाद मानकर अपने हिस्से की जमीन भाईयों के बेटों में बराबर से बांट दी थी। यहां बतादें कि उनकी पैतिृक जमीन १५ बीघा है जिसमें उनके हिस्से में पांच बीघा उपजाऊ जमीन थी जिसे उन्होंने भाई-भतीजों के नाम कर दी है ।

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