मुकुल उपाध्याय का राजनीतिक सफर मुकुल उपाध्याय वर्ष 2004 में अलीगढ़ जिले की इगलास बिधानसभा क्षेत्र से बसपा से उपचुनाव लड़कर बिधायक बने। वर्ष 2007 में दोबारा इसी विधानसभा से चुनाव लड़े थे इस बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा था ।बसपा सरकार में राज्यसेतु निगम के उपाध्यक्ष रहे । वर्ष 2010 में अलीगढ़, हाथरस विधान परिषद का चुनाव लड़े और एमएलसी बन गए। उसके बाद वर्ष 2014 में गाजियाबाद से चुनाव लड़े, उसके बाद 2017 में शिकारपुर विधानसभा से चुनाव लड़े किंतु दोनों बार हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा अभी कुछ दिनों पूर्व नगर निकाय चुनाव में हाथरस नगर पालिका अध्यक्ष पद के लिए मुकुल उपाध्याय की धर्मपत्नी श्रीमती ऋतु उपड़ियाय चुनाव लड़ी थीं।
बसपा को 2019 में हो सकता हैं नुकसान बसपा द्वारा मुकुल उपाधयाय को 6 साल के लिए पार्टी से निष्कासित किये जाने को लेकर मुकुल के करीबी और हजारों समर्थकों में अकोश दिखाई पड़ रहा है। वहीं अगर मुकुल उपाध्याय भाजपा का दामन थामते हैं तो उसका एक बहुत बड़ा नुकसान मायावती और उनकी पार्टी को हो सकता है। क्योंकि मुकुल उपाधयाय पश्चिमी उत्तर प्रदेश में काफी पकड़ रखते हैं। बसपा को मजबूत करने में इन्होंने बहुत अहम रोल निभाया है। वहीं क्षेत्र में एक बड़े ब्राह्मण नेता के रूप में मुकुल जाने जाते हैं। मुकुल अपने समर्थकों के साथ भाजपा में गए तो भाजपा मजबूत होगी और बसपा कमजोर।
मुकुल के भाई रामवीर मायावती के हैं बहुत करीबी
मुकुल उपाध्याय के बड़े भाई और सादाबाद विधानसभा से विधायक पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय बसपा में कद्दावर मंत्री रहे हैं वह चार बार बसपा सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे हैं व बसपा सुप्रीमो मायावती के बहुत करीबी माने जाते हैं। रामवीर उपाध्याय का पूरा परिवार शुरू से बसपा में रहा है रामवीर की धर्मपत्नी श्रीमती सीमा उपाध्याय जिला पंचायत अध्यक्ष सांसद बसपा से रही हैं।
मुकुल उपाध्याय के बड़े भाई और सादाबाद विधानसभा से विधायक पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय बसपा में कद्दावर मंत्री रहे हैं वह चार बार बसपा सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे हैं व बसपा सुप्रीमो मायावती के बहुत करीबी माने जाते हैं। रामवीर उपाध्याय का पूरा परिवार शुरू से बसपा में रहा है रामवीर की धर्मपत्नी श्रीमती सीमा उपाध्याय जिला पंचायत अध्यक्ष सांसद बसपा से रही हैं।