गृह सचिव भगवान स्वरूप की अध्यक्षता वाली इस तीन सदस्यी एसआईटी टीम में डीआईजी चंद्र प्रकाश और आईपीएस अधिकारी पूनम को सदस्य बनाया गया है। वहीं इस पूरे मामले में सीएम योगी ने काफी सख्त रूख अख्तियार करते हुए टीम को इस केस की जांच और सात दिनों के अंदर ही इस जांच की रिपोर्ट की मांग की है।
वहीं इस मामले की अब तक की मिली जानकारी के अनुसार पुलिस ने इस घटना के चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और सीएम ने उनके खिलाफ फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में मुक़दमा चलाकर जल्द से जल्द सजा दिलाने का भी आदेश दिया।
क्या है पूरा मामला हाथरस जिले के चंदपा थाने के एक गांव में 14 सितंबर को एक अमानवीय घटना हुई जिसने एक बार फिर से निर्भया केस को सबके सामने लाकर रख दिया। 14 सितंबर को एक दलित युवती के साथ गांव के ही चार लोगों ने मिलकर गैंगरेप किया और फिर उसके बाद उसकी जान लेने की कोशिश की। उन हैवानों ने सारी हदें पार करते हुए पीड़िता की जीभ काट दी थी ताकि वो उनके खिलाफ बयान ना दे सके। इसके अलावा पीड़िता के शरीर की कई हड्डियां भी टूटी हुई थीं।
पहले तो पीड़िता का इलाज अलीगढ़ के एक अस्पताल में चल रहा था। नौ दिन बाद जब पीड़िता को होश आया तब उसका बयान दर्ज किया गया लेकिन तब तक उसकी हालत और ज्यादा खराब हो गई थी। जब पीड़िता की हालत में कोई सुधार नहीं आया तो उसे आनन- फानन में दिल्ली के सफदरगंज अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया, जहां मंगलवार की सुबह ही उसकी मौत हो गई।
पीड़िता की मौत के बाद लोगों का गुस्सा फूटा और लोगों ने अस्पताल के बाहर ही विरोध प्रदर्शन करना शुपू कर दिया और आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की मांग करने लगे। वहीं पुलिस ने भी इस पूरे मामले में एक अलग ही रूख अपनाया। पीड़िता की मौत के बाद पुलिस देर रात उसके शव को मृतिका के गांव लेकर पहुंची, जहां पर उसके परिजनों ने अंतिम संस्कार ना करने की बात कही तो पुलिस ने घर वालों के विरोध के बावजूद पुलिस ने करीब आधी रात को चुपचाप तरीके से अंतिम संस्कार कर दिया. इतना ही नहीं लोगों ने आरोप लगाया है कि इस दौरान पुलिस मे मृतिका के परिजनों को उनके ही घर में बंद कर दिया था।