
Early Detection of Breast Cancer Possible Reveals Sweden Study
Breast cancer early detection AI : महिलओं के लिए सुकून देने वाली खबर आई है। अब स्तन कैंसर (Breast Cancer) और उसके खतरनाक रूप का जल्दी पता लगाने में आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (AI) महत्तवपूर्ण भूमिका निभा सकता है। स्वीडन में 40 से 74 वर्ष की करीब एक लाख महिलाओं पर किए गए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है कि स्तन कैंसर का पता लगाने में रेडियोलॉजिस्ट को एआइ की मदद कारगर साबित हुई है।
स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए किए गए अध्ययन की रिपोर्ट लेंसेट में रप्रकाशित हुई है। इसमें बताया गया है जांच के दौरान प्रत्येक महिला को 1 से 10 के बीच अंक दिए गए। इसमें 1 से 7 के बीच अंक पाने वाली महिलाओं में स्तन कैंसर (Breast Cancer) का कम खतरा, 8 या 9 अंक वाली महिलाओं में मध्यम खतरा और 10 अंक पाने वाली महिलाओं में सबसे अधिक खतरा माना गया। 9 तक अंक पाने वाली महिलाओं की जांच एक रेडियोलॉजिस्ट और 10 अंक पाने वाली महिलाओं की जांच दो रेडियोलॉजिस्ट ने की।
परिणाम में अंतर शोधकर्ताओं ने पाया कि एआइ की मदद से की गई स्क्रीनिंग में एक हजार महिलाओं में स्तन कैंसर के 6.4 मामलों का पता चला जबकि मानक तरीके से जांच में केवल 5 महिलाओं में स्तन कैंसर की पुष्टि हुई। घातक कैंसर के मरीज पकड़ने में भी एआइ स्क्रीनिंग ज्यादा कारगर रही। एआइ ने ऐसे 270 मामले पकड़े, जबकि मानक स्क्रीनिंग में 217 मामलों का पता चला। शोध में यह भी पता चला है कि एआइ की मदद से ज्यादातर कैंसर के मामलों को पहले स्टेज में ही पकड़ा जा सकता हैं।
यह तकनीक भारत के लिए काफी उपयोगी साबित हो सकती है क्योंकि यहां स्तन कैंसर के मामले बहुत ज़्यादा हैं। भारत में कुल कैंसर मामलों में 26.6 प्रतिशत स्तन कैंसर से संबंधित होते हैं। देश के कई हिस्सों में प्रशिक्षित रेडियोलॉजिस्ट की भी कमी है। इसके अलावा अलग-अलग अस्पतालों में डॉक्टरों के अलग-अलग अनुभव के कारण इलाज में आए फर्क को भी इस तकनीक की मदद से दूर किया जा सकता है।
भारत में औसत उम्र कम पश्चिमी देशों में स्तन कैंसर (Breast Cancer) होने की औसत उम्र लगभग 50 वर्ष है, जबकि भारत में यह 40 से 50 वर्ष है। रिपोर्ट में बताया गया है कि स्तन की बनावट के चलते मैमोग्राफी 50 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए सबसे अच्छा काम करती है। ऐसे में युवाओं में स्तन कैंसर का पता लगाना एक बड़ी चुनौती है। भारत में घातक स्तन कैंसर के अधिक मामले देखे जाते है।एक जैसी रिपोर्टिग से मदद
हर अस्पताल कैंसर की रिपोर्ट अलग तरह से बनाता है, जिससे परेशानी होती है। नई तकनीके आने से सब जगह एक जैसा रिपोर्टिंग सिस्टम हो जाएगा। यह नए, पूराने सभी डॉक्टरों को बीमारी पहचानने में भी मदद करेगी और सभी का तरीका एक जैसा हो जाएगा। हालांकि मॉडल को प्रशिक्षित करने के लिए भारतीय डेटाबेस तैयार करना एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि भारत में स्तन कैंसर होने के तरीके और लक्षण पश्चिमी देशों से अलग होते हैं।
डॉ. अभिषेक शंकर, ऑन्कोलॉजिस्ट एम्स, दिल्ली
Updated on:
18 Feb 2025 12:16 pm
Published on:
14 Feb 2025 12:42 pm
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