चलिए अब आपको पूरे मामले के बारे में बारीकी से बताते हैं। दरअसल 20 अप्रैल को अभिषेक मिश्रा नाम के शख्स ने ओला कैब सिर्फ इसलिए कैंसल कर दी थी, क्योंकि उस कैब का ड्राइवर मुस्लिम था। इतना ही नहीं अभिषेक ने अपना कट्टर हिंदुत्व दिखाने के लिए सोशल मीडिया पर भी शेयर किया। अभिषेक के इस फैसले पर कई लोगों ने उनका खूब समर्थन किया तो वहीं लोगों ने अभिषेक की जमकर लताड़ लगाई। इतना ही नहीं कई लोगों ने तो अभिषेक को गंदी-गंदी गालियां भी दीं।
लेकिन अभिषेक के इस फैसले को 16 अप्रैल के एक फेसबुक पोस्ट का बदला माना जा रहा है। दरअसल 16 अप्रैल को रेशमी आर. नायर नाम की महिला ने बेंगलूरू में सिर्फ इसलिए ऊबर कैब कैंसल कर दिया था, क्योंकि कैब के पीछे रुद्र हनुमान का स्टीकर लगा हुआ था। लेकिन हद तो तब हो गई जब रेशमी ने रुद्र हनुमान की फोटो को अपनी फेसबुक पोस्ट में हिंसा का प्रतीक बता डाला। इससे भी ज़्यादा शर्म की बात तो ये है कि रेशमी के इस फैसले की कई लोगों ने सराहना की। खुद को पढ़ा-लिखा और सभ्य बताने वाले ये युवा हम लोगों में कोई अच्छी सोच नहीं बल्कि ज़हर उगल रहे हैं।
बीते कुछ दिनों से देखा जा रहा है कि देश का भविष्य कहे जाने वाले युवा ही देश को तोड़ने और बांटने के लिए कई संवेदनशील मुद्दों पर धर्म को आड़े हाथों ले रहे हैं। इनकी वजह से कुछ लोग तो खुश हो जा रहे हैं लेकिन इससे देश में एक बहुत बड़े स्तर पर लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं। ये युवा ठीक वैसा ही काम कर रहे हैं, जैसे अंग्रेज़ों ने देश को बांटने के लिए हिंदुओं और मुसलमानों के बीच ज़हर घोला था। अंग्रेज़ों की नीति का नतीजा हम सभी जानते हैं कि तकरीबन 20 दशकों तक गुलामी करने के बाद हम कई हिस्सों में बंट गए।