हालांकि इनकी जांच के लिए कई किट बनाए जा चुके हैं लेकिन इसमें खर्च और समय दोनों ज्यादा लग रहे हैं। जिसके चलते गरीब लोग अपनी जांच नहीं करवा पा रहे। इसी समस्या को दूर करने के लिए बिहार के भागलपुर स्थित ट्रिपल आईटी यानी इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी Indian Institute of Information Technology Bhagalpur) के वैज्ञानिकों ने कोरोना जांच (Corona Test) के लिए नई तकनीक विकसित की है, जिसके जरिए दो से चार सेकेंड में रिपोर्ट बता दी जाएगी।
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वैज्ञानिकों की ये तकनीक ने कोरोना के अलावा टीबी और निमोनिया की भी रिपोर्ट देगी। इस कारनामे के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ने IIIT संस्थान को बधाई दी है।
कैसे होगी जांच?
IIIT संस्थान ये तकनीकी एक्स-रे और सिटी स्कैन के तहत काम करती है। वैज्ञानिकों ने एक्स-रे और सिटी स्कैन के इमेज को देख कर कोरोना पॉजिटिव या निगेटिव रिपोर्ट देने के लिए एक सॉफ्टवेयर भी बनाया है
करीब दो महीने पहले इस सॉफ्टवेयर को स्वास्थ्य मंत्रालय के पास स्वीकृति के लिए भेजा गया था। अब भारतीय आयुर्विज्ञान शोध परिषद ने इस सॉफ्टवेयर को हरी झंड़ी दे दी है।
बहुत जल्द शुरू होगी टेस्टींग
मीडिया से बात करते हुए ट्रिपल आइटी के (iiit bhagalpur) निदेशक प्रो. अरविंद चौबे (arvind chaubey) ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के अप्रूवल का सर्टिफिकेट हमें मिल चुका है। अब बहुत जल्द सॉफ्टवेयर की लॉन्चिंग के लिए उस आईटी कंपनी को लाइसेंस दिया जाएगा, जो कंपनी इसके व्यावसायिक प्रयोग और विपणन को इच्छुक होगी। उन्होंने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के प्रोग्रामर सहायक प्रो. संदीप राज हैं।
प्रो. अरविंद ने बताया कि इस सॉफ्टवेयर के जरिए महज एक्स-रे के खर्च पर 100 से 400 रुपये में कोरोना के मरीजों की दो से तीन बार जांच हो जाएगी। उन्होंने बताया कि आईसीएमआर और एम्स दिल्ली हमारे एक्स-रे और सिटी स्कैन रिपोर्ट की जांच कर चुकी है और इसे 100 फीसदी सफल पाया गया है।
अरविंद के मुताबिक, इस सॉफ्टवेयर के माध्यम से बिना टेस्ट किट की सहायता से कोरोना संक्रमण (Coronavirus) का पता लगाया जा सकता है। इस सॉफ्टवेयर में केवल छाती का एक्स-रे और सिटी स्कैन इमेज को अपलोड करना होगा। जिसके बाद मदज 2,4 सेकेंड में कोरोना की रिपोर्ट आ जाएगी।