पत्रिका की पहल पर बनाई गई ट्रैफिक कैबिनेट के लिए 12 विषय तय किए गए हैं। इस बार की बैठक का विषय ट्रैफिक और पर्यावरण था। विभाग द्वारा ‘वायु प्रदूषण का स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर प्रभाव एवं वायु प्रदूषण की रोकथाम हेतु रणनीति’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के साथ कैबिनेट की ओपन बैठक की गई। नागरिकों ने बताया, स्वच्छता में नंबर वन बनकर हमने देश- दुनिया के सामने अपनी आदत बदलने का बड़ा उदाहरण दिया है। अब हमें ध्वनि प्रदूषण को कम करते हुए साइलेंट सिटी ऑफ इंडिया बनाने के लिए नो हॉर्न प्लीज की आदत डालना होगी।
कलेक्टर जाटव व निगमायुक्त आशीष सिंह ने इस फैसले को चुनौती के तौर पर लेने का आग्रह करते हुए बेहतरी के लिए सुझाव देने का आग्रह किया हैं। कार्यशाला में क्षेत्रीय अधिकारी आरके गुप्ता व डीके वाघेला ने बताया, 2009 में शहर क्रिटिकली पॉल्यूटेड एरिया था। वर्ष 2011 से 2015 के बीच इसे नॉन अटेनमेंट सिटी घोषित किया गया है। तीन वर्षों से स्वच्छता के कारण आबोहवा में सुधार आया है, लेकिन पीएम-10 व पीएम-2.5 की वायु में मात्रा अब भी सीमा से अधिक है।
सुबह धूप निकलने पर ही जाएं घूमने वैज्ञानिक एसके मीणा ने बताया, 10 माइक्रॉन से अधिक आकार के धूल कण नाक के बालों द्वारा रोके जाते हैं। इससे कम आकार 2.5माइक्रॉन (पी.एम. 2.5) के धूलकण जो दिखाई नहीं देते हैं, श्वसन तंत्र में प्रवेश कर गंभीर बीमारियां पैदा करते हैं। ये मुय रूप से वाहनों से उत्पन्न होते हैं। उन्होंने कहा, ठंड में सेहत के लिए सुबह घूमना खतरनाक है। धूप निकलने के बाद ही घूमें। लंदन में नास कणों को रोकने के लिए इमारतों को सिल्वर नाइट्रेट से पोत दिया जाता है।
निगम बढ़ाएगा स्वीपिंग मशीनें, धूल होगी कम धूल को नियंत्रित करने के लिए नगर निगम अपने अमले को और बढ़ाने और सडक़ किनारे ऐसे पौधों को लगाने की तैयारी में है जो धूल को ज्यादा से ज्यादा ग्रहण कर सकें। धूल को हटाने के लिए निगम फिलहाल 14 स्वीपिंग मशीनों के जरिए सडक़ों की सफाई करवाता है। अब नगर निगम अपने अमले में इन मशीनों की संख्या 14 से बढ़ाकर 25 करने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए जल्द ही टेंडर जारी किए जाएंगे।
ये सुझाव आए यह है कार्ययोजना