
Fact Check : क्या सचमुच कोरोना मरीजों के लिए 'संजीवनी' है प्लाज़्मा थेरेपी?
इंदौर/ एक तरफ कोरोना वायरस तेजी से दुनियाभर में अपने पांव पसार रहा है। वहीं, शोधकर्ता और सरकार इस संक्रमण पर लगाम लगाने के हर संभव प्रयास में जुटी हुई है। ऐसे में इन दिनों कोरोना के इलाज स्वरूप 'प्लाज़्मा थेरेपी' की सोशल मीडिया पर काफी चर्चाएं हैं। लोगों का कहना है कि, क्या प्लाज़्मा थेरेपी के जरिये कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज संभव है? बता दें कि, इस थेरेपी को कोरोना का पर्याप्त इलाज नहीं कहा जा सकता, लेकिन इस पद्धति की मदद से संक्रमित व्यक्ति के शरीर में एंटी बॉडीज भोजकर उसे संक्रमण से लड़ने में पुल किया जाता है। आइये फेक्ट चेक के जरिये हम प्लाज़्मा थेरेपी का विश्लेषण करते हैं।
एमपी में शुरु हुआ इस थेरेपी से इलाज
दिल्ली में इस थेरेपी के बेहतर नतीजे सामने आने के बाद मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में अब कोरोना से गंभीर ग्रस्त मरीजों का इलाज 'प्लाज़्मा थेरेपी' से शुरु किया गया है। फिलहाल, इस पद्धति से इलाज की शुरुआत प्रदेश में सबसे पहले शहर के अरोबिंदो अस्पताल में की गई है। सकारात्मक नतीजे सामने आने के बाद इसे राजधानी भोपाल समेत अन्य शहरों में शुरु किया जाएगा। प्लाज़्मा थेरेपी को कोरोना मरीजों के लिए 'संजीवनी' बताया जा रहा है। क्या है ये थेरेपी? क्यों इसे बताया जा रहा है कोरोना का सबसे कारगर इजाल? आइये जानें।
दिल्ली के बाद इंदौर में शुरु हुई थेरेपी
चीन में सबसे पहले इस थेरेपी की शुरुआत की गई। जहां बड़ी तादाद में मरीजों के सकारात्मक नतीजे सामने आए। इसके बाद सबसे पहले इसे दिल्ली सरकार ने कोरोना के मरीजों पर ट्रायल किया, जिसमें भी सफलता हाथ लगी। दिल्ली में कोरोना से पीड़त चार मरीजों का इलाज प्लाज्मा थेरेपी से किया गया, जिसके नतीजे अच्छे रहे हैं। इसके बाद मध्य प्रदेश के इंदौर में इस थेरेपी का ट्रायल शुरु किया गया है।
शहर के मुस्लिम डॉक्टरों ने दान किया सबसे पहला प्लाजमा
इंदौर शहर के दो कोरोना संक्रमित डॉक्टरों ने पूर्ण रूप से स्वस्थ होने के नियमानुसार 14 दिन बाद अरविंदो हॉस्पिटल में ब्लड प्लाज़्मा डोनेट किया। डॉ. इज़हार मोहम्मद मुंशी और डॉ. इक़बाल कुरैशी ने कोरोना से मुकाबले के लिए 500-500ml ब्लड प्लाज़्मा लगभग मौत के मूंह में जा चुके दो कोरोना संक्रमित मरीजों को दान किया। फिलहाल, ये थेरेपी इंदौर के अरबिंदो अस्पताल से ही शुुरू की गई है। बेहतर परिणाम सामने आने के बाद इसे अन्य अस्पतालों में भी शुरु किया जाएगा।
डॉक्टरों ने पेश की मानवता की मिसाल
अरबिंदो अस्पताल के चेयरमैन डॉ. विनोद भंडारी के मुताबिक, उन्हें इस बात की उम्मीद है कि स्वस्थ हुए और भी मरीज़ प्लाज़्मा डोनेट कर मानवता का काम कर रहे हैं। सेंट पॉल स्कूल के पूर्व छात्र मुकेश कोठारी ने बताया कि डॉ. मुंशी ने कोरोना इलाज़ के लिये प्लाज़्मा देकर इंदौर में मिसाल पेश की है। ये प्लाज़्मा कोरोना के गंभीर मरीज़ों के लिये अमृत के समान काम करेगा।
4 दिन में वेंटिलेटर से हटा, 5वें दिन खुद खाना खाने लगा मरीज
बता दें कि, दिल्ली के एक निजी अस्पताल में एक 49 वर्षीय कोरोना संक्रमित व्यक्ति भर्ती हुआ। तमाम दवाएं देने के बावजूद संक्रमित का श्वसन तंत्र फेल हो गया, जिसके चलते उन्हें वेंटिलेटर देना पड़ा। इसपर मरीज के परिवार ने डॉक्टरों से प्लाज्मा थेरेपी (Plasma Therapy) की मदद से इलाज करने की गुहार लगाई। जॉक्टरों ने तुरंत इसपर चर्चा की क्योंकि, जब तक आईसीएमआर इस थेरेपी के प्रयोग की अनुमति दे चुका था। डॉक्टर्स ने एक संक्रमण से उबर चुके व्यक्ति का प्लाज्मा लेकर मरीज को चढाना शुरू किया। इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनल मेडिसिन के सीनियर डॉक्टर डॉ. सुदीप बुद्धिराजा ने बताया कि, प्लाज्मा थेरेपी से इलाज करने पर मरीज की हालत में सुधार होने लगा। उसे 18 अप्रैल को वेंटिलेटर से हटा दिया गया। उसके अगले ही दिन वो अपने हाथों से खाना खाने लगे। इसके बाद किए गए कोरोना टेस्ट में उनकी रिपोर्ट भी निगेटिव आई।
कौन प्लाज्मा थेरेपी के लिए डोनेट कर सकता है अपना ब्लड
प्लाज्मा थेरेपी या पैसिव एंटीबॉडी थेरेपी के लिए उस व्यक्ति के खून से प्लाज्मा लिया जाता है, जिसे कोरोना वायरस से उबरे हुए 14 दिन बीत चुके हों। संक्रमण से उबर चुके अलग-अलग लोगों के शरीर में अलग-अलग समय तक एंटीबॉडीज बनती रहती हैं। ये उसको हुए संक्रमण की गंभीरता और रोग प्रतिरोधी क्षमता पर निर्भर करता है। माय उपचार की रिपोर्ट के मुताबिक, ठीक हुए मरीज के मामले में प्लाज्मा डोनेट करने वाला व्यक्ति संक्रमित हुआ। इलाज के बाद ठीक होने पर किए गए दो कोरोना टेस्ट में वो निगेटिव आया। इसके अलावा उसकी हेपेटाइटिस बी, सी और एचआईवी जांच हो। सब कुछ ठीक पाए जाने पर उसके ब्लड से प्लाज्मा लेकर वेंटिलेटर पर मौजूद मरीज को दिया जा सकता है।
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किसका प्लाज्मा थेरेपी की मदद से किया जा सकता है इलाज
प्लाज्मा थेरेपी को सिर्फ गंभीर या थोड़े कम लक्षणों वाले मरीजों के इलाज में इस्तेमाल किया जा सकता है। जिस मामले में मरीज को सांस लेने में तकलीफ हो और उसे गंभीर निमोनिया हो। साथ ही, किसी दवाई का उसपर असर न हो। इस थेरेपी का इस्तेमाला उन मरीजों पर नहीं किया जा सकता, जो कगार पर हैं। डॉ. सुदीप बुद्धिराजा के मुताबिक, उनसे पूछा गया कि, क्या इस थेरेपी का इस्तेाल कोरोना वायरस निवारक के तौर पर किया जा सकता है तो उन्होंने कहा कि प्लाज्मा थेरेपी का ये उद्देश्य ही नहीं है। प्लाज्मा थेरेपी गंभीर बीमार व्यक्ति के शरीर को बीमारी से लड़ने में मिलने वाली अतिरिक्त मदद भर है। बाहरी स्रोत से मिलने वाली एंटीबॉडीज की मदद से मरीज वायरस का ज्यादा अच्छे से मुकाबला कर सकता है और मुश्किल हालात से बाहर निकल सकता है।
Published on:
27 Apr 2020 10:55 pm
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