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रोते हुए इशारों में बोली, ‘मुझे भी मेरे मम्मी-पापा के पास जाना है…’

locationइंदौरPublished: Mar 07, 2020 01:51:51 pm

Submitted by:

Faiz

पाकिस्तान से गीता को लाए मुझे भी मेरे परिवार से मिलवा दीजिए, मूकबधिक की गुहार

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रोते हुए इशारों में बोली, ‘मुझे भी मेरे मम्मी-पापा के पास जाना है…’

इंदौर/ वो बोल नहीं सकती, सिर्फ इशारों में ही अपनी पीड़ा समझा सकती है। पिछले करीब 20 सालों से अपने मम्मी-पापा से दूर रहने की पीड़ा, अपने लोगों से दूर रहने की पीड़ा, सरकारी बंदिशों में अपनी आजादी ढूंढने की पीड़ा। जिस उम्र में अपने पिता का हाथ थामकर कदम संभालना था, जिस उम्र में अपनी मां के आंचल में सोना था, उस उम्र में एक मूकबधिर बच्ची को पश्चिम बंगाल से अगवाह कर चंदीगढ़ लाया गया, तभी से अमृतसर के एक शेल्टर होम में रह रही कमलजीत अपने परिवार से मिलने की आस लगाए बैठी है। बीते सालों में मदद की आस में कई दरवाजे खटखटाने वाली कमलजीत को निराशा हासिल हुई। अब युवती ने इंदौर पुलिस से मदद की गुहार लगाई है।

 

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वीडियो कॉल पर लगाई गुहार

अमृतसर के शेल्टर होम में रह रही बंगाल की मूकबधिर बेटी ने इंदौर पुलिस को वीडियो कॉल करके मदद की गुहार लगाई। उसने पुलिस को इशारों में समझाया कि, वो पश्चिम बंगाल की रहने वाली है और अपने परिवार से बिछड़ी हुई है। 6 साल की उम्र में किसी ने उसे अगवाह कर चंडीगढ़ छोड़ दिया था। तभी से वो अपने परिवार से मिलने के लिए हर संभव प्रयास कर चुकी है। हर दरवाजा खटखटा चुकी है। लेकिन, कहीं से उसे उम्मीद की किरण नजर नहीं आई। उसने समझाया कि, जब पाकिस्तान से गीता को लाकर उसके परिजन से मिलाया जा सकता है, तो वो तो इसी देश के कोने में हैं। उसे भी उसके माता पिता से मिलवाने में मदद की जाए। फिलहाल, युवती की गुहार के बाद इंदौर पुलिस हरकत में आई है।

 

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पुलिस ने शुरु की परिजन की तलाश

युवती ने इंदौर के तुकागंज थाना परिसर स्थितमध्य प्रदेश मूक-बधिर पुलिस सहायता केन्द्र से मदद मांगी है। वो कहती है किस वो मुस्लिम है, लेकिन यहां बचपन में शेल्टर होम में उसे कमलजीत नाम दिया गया है। वो अब इसी नाम से खुद को पहचानती है। पुलिस ने युवती की फरियाद सुनकर उसके परिजन की तलाश शुरु कर दी है।

 

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इशारों में किया गीता का जिक्र

केन्द्र संचालन आनंद पुरोहित ने बताया कि, हेल्पलाइन नंबर पर अमृतसर से 26 वर्षीय कमलजीत ने वीडियो कॉल कर अपनी पीड़ा समझाई है। इशारों से उसने पाकिस्तान से भारत लाई गई गीता का जिक्र करते हुए कहा कि, जिस तरह गीता को उसके परिजन से मिलाने में मदद की गई, उसकी भी विनती है कि, उसे उसके परिवार से मिलवाया जाए।

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