स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक बस्तर (Bastar) में हर साल 100 से अधिक कैंसर(World Cancer Day 2023) के मरीज मिल रहे हैं। इसमें सबसे अधिक ग्रामीण इलाके के लोग हैं इनमें भी आदिवासी। हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि पिछले कुछ सालों में लोगों में कैंसर को लेकर जागरूकता बढ़ी है इस वजह से भी कैंसर के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं।
कैंसर मरीजों में गुणात्मक वृद्धि…40 प्रतिशत की हो रही मौत
स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार कैंसर का बस्तर में तेजी से फैलाव हो रहा है। इसकी जद में सबसे अधिक ग्रामीण वर्ग आ रहा है। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले दो सालों से हर साल 150 से अधिक मरीज मिल रहे हैं। इसमें सबसे गंभीर बात यह है कि साल में मौत का आंकड़ा 40 प्रतिशत से अधिक है। इसमें पूर्व के वर्षों के मरीज भी शामिल हैं।
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मालिक की मौत के बाद रातभर श्मशान घाट में चिता के पास बैठ रोता रहा ये डॉगी, जानिए पूरी कहानी… अच्छी बात यह है कि ठीक होकर भी कई लोग यहां से जा रहे हैं। बायोप्सी से लेकर कीमोथैरपी तक की सुविधा जिला अस्पताल में हैं। इसका लाभ भी संभागभर से मरीज उठा रहे हैं। वर्ष 2023 की बात करें तो अब तक एक महीने में 98 कैंसर (World Cancer Day 2023)के मरीज मिल चुके हैं वहीं 3 लोगों की मौत भी हुई है।
बस्तर संभाग में इलाज के लिए अलग से एक भी अस्पताल नहीं
बस्तर में कैंसर ने जिस तरह से पिछले तीन साल में अपने पैर पसारें है वह चिंताजनक है। ऐसे में बस्तर संभाग में कैंसर (World Cancer Day 2023)के इलाज के लिए बेहतर सुविधा होनी चाहिए। लेकिन फिलहाल ऐसी व्यवस्था नहीं है। सात जिलों वाले बस्तर संभाग में कहने को तो मेडिलक कॉलेज है लेकिन यहां इसके लिए अलग से ओपीडी तक नहीं है। यहां मरीजों के लिए इलाज के लिए अलग से अस्पताल तक नहीं है।
ऐसे में सभी को महारानी अस्पताल(Maharani Hospital) के सीमित संसाधनों पर ही निर्भर रहना पड़ता है। यहां कीमोथैरेपी के लिए पांच बेड का ही इंतजाम हैं। यही वजह है कि कई लोग इलाज के लिए सीधे रायपुर या फिर विशाखापटनम की तरफ रूख करते हैं ताकि विशेषज्ञों से इलाज करवा सकें। इससे अतिरिक्त धन के साथ देरी से इलाज भी शुरू होता है। कई बार इसके मरीजों को जान गंवाकर भी चुकाना पड़ता है।