
अवैध निर्माण हटाते हुए। पत्रिका फाइल फोटो
जयपुर। राजस्थान आवासन मंडल के लिए अवाप्त भूमि पर अवैध रूप से 87 कॉलोनियां बसने के मामले में राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए हाईकोर्ट के आदेश पर दखल करने से इंकार कर दिया। इसके बाद राजस्थान सरकार ने कदम पीछे खींचते हुए अपील वापस लेने की इच्छा जताई, जिस पर कोर्ट ने अपील को खारिज कर वापस लेने की अनुमति दे दी। अब सरकार इस मामले में हाईकोर्ट में ही अपना पक्ष रखेगी।
न्यायाधीश विक्रम नाथ व न्यायाधीश संदीप मेहता की खंडपीठ ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसके जरिए सरकार जयपुर के सांगानेर क्षेत्र में अतिक्रमण को बचाना चाहती थी। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से स्पष्ट तौर पर कहा कि इस मामले में जो भी कहना है, हाईकोर्ट में कहें सुप्रीम कोर्ट अंतरिम आदेश पर दखल नहीं करेगा। सरकार ने अपील के जरिए आवासन मंडल की जमीनों पर बसी 87 कॉलोनियों के अवैध निर्माण ध्वस्त कर अतिक्रमण हटाने के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट की तरह ही सुप्रीम कोर्ट से भी सरकार को झटका लगा।
राज्य सरकार इस अतिक्रमण को नियमित करने की तैयारी कर रही थी, जिसके खिलाफ पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था ने हाईकोर्ट में याचिका की। इसी याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने अतिक्रमण पर सख्ती दिखाई। अब सुप्रीम कोर्ट से भी फटकार के बाद राज्य सरकार के पास केवल हाईकोर्ट में ही पक्ष रखने का विकल्प बचा है।
पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि राजस्थान सरकार ने 12 मार्च 2025 को सांगानेर की उन कॉलोनियो को नियमित करने का आदेश जारी किया, जो आवासन मंडल के लिए अवाप्त जमीन पर अवैध रूप से बसाई गई है। याचिका के अनुसार ये 87 कालोनियां बी-2 बाईपास से सांगानेर के बीच के क्षेत्र में बसी हैं। इस भूमि के लिए आवासन मंडल की ओर से काश्तकारों को भुगतान किया जा चुका, लेकिन अधिकारियों ने भूमाफियाओं से मिलीभगत कर यहां कब्जे करवा दिए और अब नियमन करवाया जा रहा है।
20 अगस्त 2025 को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने टिप्पणी की थी कि अवैध निर्माण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सरकारी जमीन पर अतिक्रमण को कैसे नियमित किया जा सकता है। कोर्ट ने अवैध निर्माण को नियमित करने के राज्य सरकार के प्रयासों पर रोक लगा दी, वहीं सभी अवैध निर्माण हटाकर आठ सप्ताह में रिपोर्ट तलब की। कोर्ट ने दोषी अधिकरियों के खिलाफ कार्रवाई करने को भी कहा।
हाईकोर्ट में पब्लिक अगेंस्ट करप्शन संस्था की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता पूनम चंद भंडारी, अभिनव भंडारी और डॉ टी एन शर्मा का आरोप है कि इन अवैध कालोनियों में कई रसूखदारों के प्लाॅट हैं। उनके दबाव में ही राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट गई। सरकार के सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने से यह स्पष्ट हो गया कि इस मामले में इन रसूखदारों की भूमिका है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के कारण उनके प्रयास सफल नहीं हो पाए।
Published on:
24 Oct 2025 08:05 am
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