
जयपुर।
विश्व जल दिवस के अवसर पर राज्य में 44 जल संरचनाओं को वेटलेण्ड्स के रूप में अधिसूचित किया गया है। पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा वेटलेण्डस् की महत्ता को देखते हुए राज्य के विभिन्न जिलों में 44 वेटलेण्ड्स को चिन्हित कर आद्रभूमि (संरक्षण और प्रबन्धन) नियम, 2017 के प्रावधानों के अनुसार ड्राफ्ट अधिसूचना जारी की गई है।
इन वेटलेण्ड्स के संबंध में कोई भी व्यक्ति अपने सुझाव अथवा आपत्तियाँ 60 दिन के अन्दर संयुक्त शासन सचिव, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को दे सकेगा। इस अवधि में प्राप्त सुझावों एवं आपत्तियों के आधार पर इन 44 वेटलेण्ड्स के सम्बंध में अन्तिम अधिसूचना जारी की जाएगी।
खनन कार्य, पोचिंग, काश्तकारी निषेध
पर्यावरण एवं जल संसाधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव शिखर अग्रवाल ने बताया कि अधिसूचना में वेटलेण्ड की सीमा तथा बफर क्षेत्र का GPS विवरण देने के साथ वेटलेण्ड की सीमा और बफर क्षेत्र में प्रतिबन्धित एवं विनियमित गतिविधियों की सूची संलग्न की गई है। वेटलेण्ड्स की सीमा में खनन कार्य, वाणिज्य कार्यों के लिये पानी का निकास, अपशिष्ट डालना, औद्योगिक गतिविधियाँ, पोचिंग, काश्तकारी इत्यादि को निषेध किया गया है।
आजीविका के लिये महत्वपूर्ण है वेटलेण्ड्स
पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के संयुक्त शासन सचिव ने बताया कि वेटलेण्डस् जंतु ही नही बल्कि पादपों को दृष्टि से भी एक समृद तंत्र है, जहाँ उपयोगी वनस्पतियाँ एवं औषधीय पौधे भी प्रचुर मात्रा में मिलते है तथा इनके उत्पादन से महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। वेटलेण्डस् बाढ़ के दौरान जल के आधिक्य का अवशोषण करते है जिससे मानवीय आवास क्षेत्रों में जन व माल हानि नही होती है। ये क्षेत्र ‘कार्बन अवशोषण’ व ‘भू-जल स्तर में वृद्धि’ जैसी महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं का निर्वहन कर पर्यावरण संरक्षण में अहम योगदान देते हैं। स्थानीय लोगों की आजीविका के लिये भी वेटलेण्ड्स अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
Updated on:
22 Mar 2023 02:07 pm
Published on:
22 Mar 2023 02:03 pm
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