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जयपुर के पूर्व राजपरिवार को बड़ा झटका, पद्मिनी देवी-दीया कुमारी मायूस, राजस्थान हाईकोर्ट ने अपील खारिज की

Rajasthan High Court Appeal Rejected : जयपुर के पूर्व राजपरिवार को एक बड़ा झटका लगा। राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले के बाद पद्मिनी देवी और दीयाकुमारी मायूस हो गई हैं। हाईकोर्ट ने पूर्व राजपरिवार की अपील खारिज कर दी है। इससे टाउन हॉल परिसर में म्यूजियम के निर्माण व लोकार्पण का रास्ता साफ हो गया है।

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Rajasthan High Court

राजस्थान हाईकोर्ट ने जयपुर स्थित टाउन हॉल और होमगार्ड कार्यालय परिसर के कब्जे को लेकर पद्मिनी देवी, दीयाकुमारी व अन्य की अपीलों को खारिज कर राज्य सरकार को राहत दी है। इससे टाउन हॉल परिसर में म्यूजियम के निर्माण व लोकार्पण का रास्ता साफ हो गया है। इस मामले में सरकारी पक्ष का कहना था कि कोवेनेंट (संविधान के अंतर्गत समझौते) के अनुसार सम्पत्ति सरकार की है, इसे लौटाया नहीं जा सकता, वहीं पूर्व राजपरिवार की ओर से सरकार को यहां नया निर्माण कार्य कराने से रोकने का आग्रह किया था। न्यायाधीश एन.एस. ढड्ढा ने शुक्रवार को जयपुर के पूर्व राजपरिवार की सदस्य पद्मिनी देवी, दीया कुमारी व पद्मनाभ सिंह की दो अपीलों को खारिज कर दिया।

अपील खारिज, मुकदमा सुरक्षित

राजस्थान हाईकोर्ट ने इस मामले में 7 अगस्त को दोनों परिसरों को लेकर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था, जो अपीलों के खारिज होने के साथ ही समाप्त हो गया। हाईकोर्ट ने इस मामले में पिछले दिनों सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रख लिया था।

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अधीनस्थ अदालत का आदेश सहीं

राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा, यह संपत्ति सरकारी उपयोग के लिए दी गई थी और सरकारी उपयोग का अर्थ व्यापक है, इस संपत्ति को अन्य किसी को उपयोग के लिए नहीं दिया जा रहा है। ऐसे में अधीनस्थ अदालत के आदेश पर दखल की आवश्यकता नहीं है।

अपीलार्थी पक्ष : कब्जा हमें दिलाया जाए

अपीलार्थी पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद ने कहा कोवेनेंट में टाउन हॉल व जलेब चौक स्थित लेखाकार कार्यालय परिसर को निजी संपत्ति मानते हुए सरकारी उपयोग के लिए इन्हें लाइसेंस पर दिया गया था। पहले टाउन हॉल को विधानसभा के लिए उपयोग में लिया जा रहा था, अब सरकार यहां अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम बनाना चाहती है। इसी तरह लेखाकार व अन्य कार्यालय को दी गई संपत्ति का होमगार्ड कार्यालय के लिए उपयोग हो रहा था, लेकिन इस सम्पत्ति की जरूरत नहीं रही है। ऐसे में उद्देश्य पूरा होने के कारण अब कब्जा अपीलार्थी पक्ष को वापस दिलाया जाए।

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