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जयपुर। पंचायती राज संस्थाओं व शहरी निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग की सीटों के आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर गठित आयोग महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में अपनी रिपोर्ट तक सरकार को सौंप चुके, लेकिन राजस्थान में अभी तक सर्वे ही शुरू नहीं हुआ है। हाल यह है कि आयोग अध्यक्ष व सदस्यों का दर्जा व मानदेय तक सरकार ने तय नहीं किया और उनका 3 माह का कार्यकाल भी पूरा हो चुका। इससे दिसम्बर तक पंचायतों व शहरी निकायों के चुनाव होने पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
पंचायती राज संस्थाओं व शहरी निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग की सीटों के निर्धारण को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश आए दो साल से अधिक समय बीत चुका। इसके बाद महाधिवक्ता ने भी पिछले साल इस कार्य के लिए स्वतंत्र आयोग बनाने की राय सरकार को दे दी। सरकार ने इस साल मई में आयोग का गठन किया और उसके आदेश का दो सप्ताह से अधिक समय तक अध्यक्ष-सदस्यों को खुद को भी पता नहीं चला। आयोग ने अध्यक्ष व सदस्यों का दर्जा व मानदेय तय करने के लिए अधिकारियों को कई बार पत्र लिखे, लेकिन अब तक कुछ तय नहीं हो पाया।
सुप्रीम कोर्ट दो अलग-अलग मामलोें में स्पष्ट कर चुका कि शहरी निकाय व पंचायती राज संस्थाओं में ओबीसी आरक्षण तय करने के लिए स्वतंत्र आयोग का गठन कर सीटों का निर्धारण किया जाए। इसके बावजूद न तो पूर्ववर्ती सरकार ने यह कार्य पूरा कराया और करीब डेढ़ साल तक मौजूदा सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ठंडे बस्ते में डाल दिया। अब आयोग बना, तो उसे भी बजट व संसाधन दिए बिना मैदान में उतार दिया।
राज्य सरकार के मंत्रियों की ओर से हाल ही मीडिया से कहा गया कि पंचायती राज संस्थाओं व शहरी निकायों के लिए परिसीमन का कार्य पूरा करवाकर दिसम्बर तक चुनाव करवा लिए जाएंगे। इसके विपरीत हकीकत यह है कि पूर्व जिला एवं सत्र न्यायाधीश मदन लाल भाटी की अध्यक्षता में मई में बनाए गए आयोग की रिपोर्ट बिना ओबीसी सीटों का निर्धारण ही संभव नहीं और अभी तक आयोग इस कार्य के लिए सर्वे तक शुरू नहीं कर पाया है।
आयोग को इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान परिसर में कार्यालय तो मिल गया, लेकिन कार्यालय के लिए आवश्यक कुर्सी-टेबल जैसी सुविधाएं और स्टेशनरी का अभाव है। आयोग को बजट तक नहीं मिला। इस स्थिति के बावजूद आयोग ने सर्वे के लिए फॉर्मेट तो तय कर लिया, लेकिन सुविधाओं के अभाव में कामकाज ही शुरू नहीं हो पाया। आयोग प्रतिनिधियों को दूसरे राज्यों के आयोगों के कार्य का अध्ययन करने के लिए यात्राएं करनी थी, लेकिन बजट के बिना व आयोग के अध्यक्ष-सदस्यों का दर्जा तय नहीं होने से यह कार्य भी शुरू नहीं हो सका।
Updated on:
11 Aug 2025 11:55 am
Published on:
11 Aug 2025 06:57 am
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