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जयपुर में ढही हवेली: नींद में ही बिछड़ गए बाप-बेटी, 5 लोग जिंदगी-मौत के बीच जूझ रहे, तस्वीरों में देखें हादसे का मंजर

राजधानी जयपुर के सुभाष चौक में 4 मंजिला जर्जर हवेली ढह गई। हादसे में पिता-बेटी की मौत और 5 लोग घायल हो गए। मृतकों के परिजन मुआवजे की मांग पर शव लेने से इंकार कर रहे हैं। प्रशासन ने आसपास के जर्जर मकान खाली कराए।

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जयपुर

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Arvind Rao

Sep 06, 2025

Haveli collapses in Jaipur

Haveli collapses in Jaipur (Patrika Photo)

जयपुर: परकोटा क्षेत्र के सुभाष चौक इलाके में शुक्रवार देर रात बड़ा हादसा हो गया। यहां एक चार मंजिला जर्जर हवेली अचानक भरभराकर गिर गई। हादसे में सात लोग मलबे में दब गए। स्थानीय लोगों और बचाव दलों ने रातभर चले अभियान में सभी को बाहर निकाला।


लेकिन 33 वर्षीय प्रभात और उसकी 6 वर्षीय बेटी पीहू की मौत हो गई। बाकी पांच लोग घायल हैं, जिनका इलाज एसएमएस अस्पताल में जारी है। हादसे के बाद मृतक के परिजनों ने मुआवजे की मांग उठाई है और शव लेने से इनकार कर दिया है।


कैसे हुआ हादसा


स्थानीय लोगों के अनुसार, शुक्रवार रात करीब 12 बजे अचानक जोरदार आवाज के साथ हवेली ढह गई। पिछले दो दिनों से जयपुर में लगातार रुक-रुक कर बारिश हो रही थी, जिससे भवन की नींव और दीवारें कमजोर हो चुकी थीं। यह हवेली काफी पुरानी थी और लंबे समय से जर्जर हालत में खड़ी थी।


मृतक और घायल


मलबे में दबने से प्रभात और उसकी बेटी पीहू की मौत हो गई। प्रभात की पत्नी सुनीता गंभीर घायल हुई है। इसके अलावा वासुदेव (34), उनकी पत्नी सुकन्या (23) और उनके दो बेटे सोनू (4) और ऋषि (6) को भी रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया। इनमें से एक बच्चे को प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।


रातभर चला रेस्क्यू ऑपरेशन

हवेली ढहते ही इलाके में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोग मौके पर दौड़े और पुलिस को सूचना दी गई। तुरंत ही सिविल डिफेंस और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। रातभर राहत और बचाव कार्य चला। सुबह सात बजे तक सभी लोगों को मलबे से बाहर निकाल लिया गया। एसीपी माणक चौक पीयूष कविया, रामगंज थानाधिकारी सुभाष कुमार और सुभाष चौक थानाधिकारी लिखमाराम पुलिस बल के साथ मौके पर मौजूद रहे।


किराएदार थे सभी परिवार


हवेली शहाबुद्दीन नामक व्यक्ति की बताई जा रही है। इसमें कोई भी मालिक खुद नहीं रहता था। सभी मंजिलों पर किराएदार रह रहे थे, जिनमें अधिकतर लोग पश्चिम बंगाल से आए प्रवासी मजदूर हैं। प्रभात का परिवार भी पिछले दो साल से तीसरी मंजिल पर किराए से रह रहा था। हादसे के समय पूरा परिवार भीतर ही सो रहा था।

प्रशासन की लापरवाही उजागर

स्थानीय निवासियों ने बताया कि यह हवेली काफी पुरानी और जर्जर थी। इलाके में पांच से ज्यादा ऐसे भवन और भी हैं, जो गिरने की कगार पर हैं। इसके बावजूद नगर निगम या प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। आश्चर्य की बात यह है कि जर्जर भवनों की जिस सूची को निगम ने तैयार किया था, उसमें इस हवेली का नाम शामिल ही नहीं था। यही कारण है कि हादसे से पहले न तो निरीक्षण हुआ और न ही मकान खाली कराया गया।

परिजनों का गुस्सा, शव लेने से इनकार

हादसे के बाद मृतक प्रभात और उसकी बेटी पीहू के रिश्तेदारों ने शव लेने से इनकार कर दिया। वे सरकार से उचित मुआवजा और परिवार के भरण-पोषण के लिए आर्थिक सहायता की मांग कर रहे हैं। पुलिस और प्रशासन उनसे बातचीत कर रहा है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है।


आसपास के मकान खाली


हादसे के बाद प्रशासन ने एहतियातन आसपास के मकानों को खाली करा दिया है। इलाके में सुरक्षा घेरा बना दिया गया है। लोगों को चेतावनी दी गई है कि भारी बारिश के दौरान जर्जर मकानों में रहना खतरनाक हो सकता है।


यह हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही का भी सबूत है। जर्जर भवनों की पहचान और समय पर कार्रवाई न होना लोगों की जान पर भारी पड़ रहा है। यदि जल्द ही ऐसे मकानों की मरम्मत या ध्वस्तीकरण की कार्रवाई नहीं हुई, तो आने वाले दिनों में और भी बड़ी दुर्घटनाएं हो सकती हैं।