
Tanya Rathore (Patrika Photo)
जयपुर: हर किसी की इच्छा होती है कि वह ऐसा खेल चुने, जिसमें चोटों का खतरा कम हो। खासतौर पर लड़कियों के लिए यह बात बहुत ही अहम होती है। जरा सी भी चोट उनके भविष्य को खराब कर सकती है, लेकिन कुछ ऐसे भी धुरंधर होते हैं, जिन्हें खतरों से खेलने में डर नहीं लगता है।
ऐसा ही एक नाम है कोटा की तान्या राठौड़ का। तान्या ने बहुत छोटी से उम्र में जूडो जॉइन किया और आज वह देश की उभरती प्रतिभाओं में शुमार हैं। तान्या का सपना है कि वह ओलंपिक में देश को स्वर्ण पदक दिलाएं।
तान्या ने 10 साल की उम्र में जूडो खेलना शुरू किया था। 13 वर्ष की उम्र में अपने सपने को पूरा करने के लिए घर छोड़ दिया। वह भोपाल के साइ सेंटर में उभरती खिलाड़ी के रूप में चुन ली गई। बचपन में पापा के साथ अखाड़े में जाती थी। पापा को कुश्ती का शौक था।
जूडो की फाइट देखी और लगा कि यह खेल मुझे भी खेलना है। पापा को यह बात बताई तो उन्होंने कहा कि फाइटिंग का खेल है। इसमें उतरकर कभी पीठ मत दिखाना। मैंने कहा कि मैं आपको कभी निराश नहीं करूंगी। बस यहीं से मेरी जूडो यात्रा शुरू हो गई।
तान्या ने बताया कि पापा वेल्डिंग का कार्य करते हैं। हमारे परिवार में दादा-दादी सहित सात सदस्य हैं। ऐसे में घर का सारा भार पापा पर ही रहता है। हम बीपीएल में आते हैं। 2022 से अनुदान राशि के लिए फॉर्म भर रखा है पर अनुदान राशि का कोई पता ही नहीं है।
राज्य सरकार से गुजारिश है कि हमारी मदद की जाए, ताकि हम परिवार की मदद कर सकें। राजस्थान राज्य जूडो महासंघ के महासचिव महीपाल ग्रेवाल ने बताया कि तान्या बहुत प्रतिभावान खिलाड़ी हैं।
Published on:
27 Jul 2025 10:47 am
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