
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ । फोटो पत्रिका
Rajasthan : राजस्थान में कफ सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फन से चार बच्चों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग अलर्ट हो गया। कफ सिरप डेक्सट्रोमेथॉर्फन पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं राजस्थान स्वास्थ्य विभाग ने सरकार की मुफ्त दवा योजना के तहत वितरित दवाओं पर चेतावनी का लेबल लगाने की नीति लागू की है। इस नीति के तहत वो दवाएं शामिल हैं जो बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए खतरा पैदा कर सकती हैं। इन खतरनाक दवाओं पर विशेष रूप से चेतावनी अंकित करने का निर्देश जारी किया है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने यह अहम कदम उठाया।
राजस्थान स्वास्थ्य विभाग के पहल का उद्देश्य संभावित रूप से खतरनाक दवाओं को स्पष्ट रूप से चिह्नित करके आगे होने वाले नुकसान को रोकना है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने राजस्थान सरकार के इस फैसले की सराहना करते हुए अन्य राज्यों से भी इसी तरह के कदम उठाने का आग्रह किया। यह कार्रवाई एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट को तीन साल के बच्चे को यह सिरप लिखने के आरोप में निलंबित किए जाने के बाद की गई है। जिससे दवा सुरक्षा प्रोटोकॉल को और सख्त करने की तत्काल आवश्यकता उजागर होती है।
देश के विभिन्न राज्यों में खांसी की सीरप की गुणवत्ता का मामला सामने आने के बाद भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव ने रविवार को विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य सचिवगण के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एक बैठक आयोजित की गई। बैठक में भारत सरकार की सचिव ने राजस्थान के इस संबंध में उठाए गए कदमों का विशेष रूप से उल्लेख करते हुए अन्य राज्यों में इन उपायों को अपनाए जाने के निर्देश दिए हैं।
हाल के दिनों में कथित तौर पर विवादास्पद कफ सिरप पीने से सीकर, चूरू और भरतपुर जिलों के चार बच्चों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों अन्य को स्वास्थ्य संबंधी जटिलताएं हो गईं। जांच में जब यह पता चला कि सीकर जिले के हाथीदेह जन स्वास्थ्य केंद्र में इलाज के लिए आए तीन साल के एक बच्चे को डेक्सट्रोमेथॉर्फ़न दवा दी गई है, तो स्वास्थ्य विभाग इस पर एक्शन लेते हुए एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट को निलंबित कर दिया। प्रतिबंध लगने से पहले भी डेक्सट्रोमेथॉर्फ़न को चार साल से कम उम्र के बच्चों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता था।
1- राजस्थान में आशा, एएनएम एवं सीएचओ के माध्यम से डोर-टू-डोर सर्वे लांच किया, आमजन को विभिन्न बीमारियों से बचाव एवं दवाओं के उपयोग को लेकर किया जा रहा जागरूक।
2- यह सर्वे ऐसे मरीजों की पहचान करेगा, जिन्हें कफ, कोल्ड और बुखर के लक्षण हैं।
3- आमजन को आईईसी गतिविधियों के माध्यम से जागरूक किया जा रहा है कि वे किसी भी तरह की बीमारी के मामले में घर पर रखी किसी दवा का उपयोग नहीं करें।
4- नजदीकी चिकित्सा संस्थान जाकर चिकित्सक से परामर्श लें एवं चिकित्सकीय सलाह के अनुसार ही दवाओं का सेवन करें।
5- विशेषरूप से बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को बिना चिकित्सक के परामर्श के कोई दवा नहीं दें।
6- घर में रखी दवाओं को बच्चों की पहुंच से दूर रखें।
Published on:
06 Oct 2025 12:39 pm
बड़ी खबरें
View Allजयपुर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
