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नए बिल को लेकर चौतरफा घिरी वसुंधरा सरकार, तो इसलिए विपक्ष के साथ पक्ष ने भी चलाए शब्दों के बाण

locationजयपुरPublished: Oct 23, 2017 08:09:04 pm

लोकसेवकों को उनके कार्यकाल के दौरान रक्षा प्रदान करने वाले इस बिल को लेकर नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने इसे भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला बताया है।

Rajasthan Govt controversial bill
राजस्थान विधानसभा का सत्र सोमवार को जोरदार हंगामे के साथ शुरु हुआ। और प्रदेश सरकार द्वारा नए बिल को लेकर विरोध के बाद इसे स्थगित भी करना पड़ गया। जबकि लोकसेवकों को बचाने वाले इस बिल के कारण प्रदेश की सरकार का देशभर में कड़ा विरोध हो रहा है, तो वहीं इस विरोध में मीडिया से लेकर विपक्ष भी एकसाथ खड़ा दिख रहा है। जहां प्रदेश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस राजे सरकार के इस नए अध्यादेश को लेकर अपना प्रदर्शन जारी रखे हुए है, तो वहीं नेताओं ने भी इस बिल को लेकर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की है। बावजूद इसके सोशल मीडिया पर भी बिल को लेकर नाराजगी खूब देखने को मिल रही है।
बिल के विरोध में बयान-

राहुल गांधी- राजस्थान सरकार के अध्यादेश को लेकर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीटर के जरिए अपना निशाना साधते हुए कहा है कि ‘मैडम चीफ मिनिस्टर हम 21वीं सदी में रह रहे हैं। यह साल 2017 है, 1817 नहीं।’ बता दें कि भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर आए दिन निशाने पर आ रही राज्य सरकार ने दागी लोकसेवकों को संरक्षण दिया है।
सचिन पायलट- लोक सेवकों को लेकर कानून में संशोधन किए जाने को लेकर प्रदेश की सरकार के प्रस्ताव का विरोध करते हुए प्रदेश कांग्रेस के जानेमाने नेता सचिन पायलट ने कहा कि बिल का लाया जाना प्रदेश सरकार की असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। तो वहीं इसके जरिए लोकतंत्र का मजाक उड़ाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस संशोधन से आम आदमी के अधिकारों और उसकी आजादी का हनन किया जा रहा है। ऐसे में प्रदेश में दो तरह के कानून हो जाएंगे, एक आम आदमी के लिए तो दूसरा कानून अधिकारियों के लिए। जो कि कांग्रेस ऐसा होने नहीं देगी। अगर इस संशोधन प्रस्ताव को सरकार लाई तो कांग्रेस सडकों पर उतरेगी और आंदोलन करेगी।
नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी– जबकि लोकसेवकों को उनके कार्यकाल के दौरान रक्षा प्रदान करने वाले इस बिल को लेकर नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी ने इसे भ्रष्टाचार बढ़ाने वाला बताया है। साथ ही कहा कि पूरा देश इस सरकार के सोच के खिलाफ है। सोमवार को सदन स्थगित होने के बाद उन्होंने कहा कि सदन में विरोध कर हमनें चेताया। उनका कहना कि सरकार के भी कई नुमाइंदे घनश्याम तिवारी और कई उस बिल का विरोध कर रहे है। इसलिए सरकार को इसमें सोचना चाहिए।
तो वहीं दौसा विधायक किरोड़ी लाल मीणा ने कहा कि कानून प्रावधानों को ताक में रखकर सरकार इस काले कानून को लाने की कोशिश में लगी हुई है। जो गलत है।

कुमार विश्वास (आप पार्टी)- आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने राजे सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि महारानी वसुंधरा अभी तक भूल नहीं पाई हैं कि राजशाही खत्म हो चुका है। वो अपना काम महिला किंम जॉन्ग की तरह कर रही हैं। उनका कहना कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और ऐसे में इस बिल लोगों की आवाज को बराबर से मौका नहीं मिलेगा। कुमार ने राजस्थान सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उन्होंने इस अध्यादेश को वापस नहीं लिया तो इसके खिलाफ राज्य भर में आंदोलन किया जाएगा।
सत्ता पक्ष के नेताओं का विरोध-

सत्ता पक्ष के विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि यह एक काला कानून है इसका हम विरोध करते हैं राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी का भी आभार है जो इस मुद्दे को उठा रहे हैं।
इमरजेंसी कांग्रेस की देन थी तो ये सरकार क्या कर रही है। भ्रष्ट लोक सेवको के खिलाफ जन प्रतिनिधियों का भ्रष्टाचार उजागर होता है तो होने देना चाहिए। आखिर चुनाव से एक साल पहले इस कानून को लाने की जरूरत ही क्या पडी। कोई भी केन्दीय कानून में संशोधन राष्ट्रपति की मंजूरी के बिना नहीं किया जा सकता। -माणकचंद सुराणा, विधायक
बिल के पक्ष में बयान-

पिछले दिनों लाए गए इस अध्यादेश पर राजस्थान के गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया का कहना था कि साफ छवि के अधिकारियों को बचाने के लिए इन अध्यादेश को लाया गया है। क्योंकि ईमानदार अधिकारी काम के वक्त डरते थें कि कोई उन्हें किसी केस में ना फंसा दे। जबकि आज सदन में चौतरफा विरोध के बाद उन्होंने संशोधन विधेयक को रखते हुए कहा कि यदि इसमें कोई खामियां होगी तो उसे दूर किया जाएगा। इससे पहले इस कानून के विरोध में कांग्रेस विधायक मुंह पर काली पट्टी और गले में तख्तियां लटका कर विधानसभा पहुंचे।
आखिर क्या है इस बिल में…

इस बिल के मुताबिक, प्रदेश के सांसद, विधायक, जज और अफसरों के खिलाफ जांच करना काफी मुश्किल हो जाएगा, जबकि इन लोगों पर पर शिकायत दर्ज कराना आसान नहीं रहेगा। इसके अलावा दागी लोकसेवकों को दुष्कर्म पीडि़ता वाली धारा में संरक्षण, कोर्ट के प्रसंज्ञान लेने से पहले नाम-पता उजागर तो दो साल सजा, अभियोजन स्वीकृति से पहले मीडि़या में किसी तरह की कोई रिपोर्ट आई तो इसमें सजा का प्रवधान के साथ कड़ा जुर्माना भी है। जबकि इन लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने के लिए सरकार 180 दिन में अपना निर्णय देगी। इसके बाद भी अगर संबंधित अधिकारी या लोकसेवक के खिलाफ कोई निर्णय नहीं आता है, तो अदालत के जरिए इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई जा सकेगी।
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