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राजस्थान में शुरू हुई मोबाइल कनेक्टिविटी की थर्ड पार्टी ऑडिट, तमाम समस्यों का अब खुलेगा राज

Mobile Connectivity Problem : मोबाइल उपभोक्ता कॉल ड्रॉप, कनेक्टिविटी, डेटा स्पीड, कवरेज एरिया की समस्या से लगातार जूझ रहे हैं। हर कोई परेशान है। पर अब राजस्थान समेत चार राज्यों के चुनिंदा शहरों में मोबाइल कनेक्टिविटी की ऑडिट शुरू हो गई है। जल्द ही इस राज का खुलासा हो जाएगा।

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Rajasthan Mobile Connectivity Third Party Audit Started Now All Problems will be Solved

Mobile Connectivity Problem : मोबाइल उपभोक्ता कॉल ड्रॉप, कनेक्टिविटी, डेटा स्पीड, कवरेज एरिया की समस्या से लगातार जूझ रहे हैं। इसकी हकीकत पता लगाने के लिए अब थर्ड पार्टी ‘ऑडिट’ शुरू कर दी गई है। इसमें कॉल ड्रॉप, कवरेज एरिया, डाउनलोड-अपलोडिंग स्पीड के साथ क्वालिटी सर्विस के हर पहलू की जांच की जा रही है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और पंजाब के चुनिंदा शहरों में काम कर रहे हैं। खास यह है कि इस ड्राइव टेस्ट में न तो मोबाइल ऑपरेटर्स के प्रतिनिधि को साथ रखा गया है और न ही उनके टेस्टिंग उपकरण काम में लिए जा रहे हैं। इससे काम में पारदर्शिता रहेगी। वर्ष 2018 से ऑपरेटरों के साथ टेस्टिंग होती रही है और कई बार टेस्ट रिपोर्ट पर सवाल उठते रहे हैं। चारों राज्यों की मॉनिटरिंग का जिम्मा ट्राई के जयपुर में बैठे अफसरों के पास ही रहेगा।

हालात और जरूरत

1- अभी यह : राज्य में मोबाइल ऑपरेटर्स के 1 लाख 24 हजार बीटीएस (बेस ट्रांसरिसीवर स्टेशन) हैं, जो 40 हजार मोबाइल टावर पर लगे हुए हैं। इस बीटीएस के जरिए ही एक मोबाइल से दूसरे मोबाइल पर वॉयस कॉलिंग होती है।

2- जरूरत : राज्य में 6 से 8 हजार बीटीएस लगाने की जरूरत है, लेकिन ऑपरेटर उस स्पीड से काम नहीं कर रहे, जितनी जरूरत है। वे निकाय स्तर पर समय पर अनुमति नहीं मिलने का हवाला देते रहे हैं।

इस तरह समझें कहां दिक्कत है…

1- ट्राई ने तकनीकी खामी के कारण 2 फीसदी कॉल ड्रॉप को छूट के दायरे में ले रखा है, इससे ज्यादा होने पर ही जुर्माने का प्रावधान है।
2- पहले जो जांच रिपोर्ट आती रही, उसमें कॉल ड्रॉप दर 2 प्रतिशत से कम ही मिली। जबकि, धरातल पर हकीकत कुछ और है।
3- ट्राई व डीओटी अधिकारियों का तर्क है कि ज्यादातर प्रभावित उपभोक्ता शिकायत ही दर्ज नहीं कराते। ऐसे में जो अधिकारिक रिकॉर्ड होगा, उसी आधार पर रिपोर्ट जारी होती है।
4- सवाल यह है कि कनेक्टिविटी ड्राइव टेस्ट में सीधे उपभोक्ताओं की भागीदारी नहीं होती। इसमें उपकरण के जरिए अलग-अलग कनेक्टिविटी जांची जाती है। जब उपभोक्ता प्रभावित हैं तो वह दर्ज क्यों नहीं हो पाती।

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किस ऑपरेटर के कितने उपभोक्ता

रिलांयस जियो - 2.61 करोड़
एयरटेल - 2.29 करोड़
वोडाफोन आइडिया - 94 लाख
बीएसएनएल - 56 लाख।

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