राजकुमार शर्मा नवलगढ़ से निर्दलीय विधायक हैं और कांग्रेस सरकार में चिकित्सा राज्य मंत्री रह चुके हैं। हाल ही डॉक्टरों की हड़ताल को लेकर उन्होने वर्तमान चिकित्सा मंत्री कालीचरण सराफ पर कई तरह के आरोप लगाए और इस हड़ताल के लिए पूरी तरह से उन्हे ही जिम्मेदार माना। शर्मा करीब 12 बजे विधानसभा पहुंचे। उन्होने अपना इस्तीफा देने के संवाददाताओं को बताया कि चिकित्सकों की हड़ताल से आमजन की मौतों से आहत होकर पहले ही वे विधायिका से इस्तीफा दिए जाने का एेलान कर चुके थे।
शर्मा ने कहा कि जब वे चिकित्सा राज्य मंत्री थे तब उन्होने डॉक्टरों को हड़ताल के लिए उकसाया नहीं था। ना ही डॉक्टर्स की इमेज खराब करने के लिए काम किया। एक भी डॉक्टर को धारा 151 के तहत गिरफ्तार नहीं किया। एसडीएम को भी एेसे कोई आदेश जारी नहीं किया थे कि वे डॉक्टरों से लाखों रुपए के मचलके भरवाए। गुस्से में आकर डॉक्टरों के तबादले नहीं किए।
उन्होने स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सराफ पर आरोप लगाया कि जब डॉक्टर्स सात दिन की हड़ताल के बाद मान गए थे और समझौता भी हो गया था इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री ने अपने अहंकार के चलते डॉक्टर नेताओं के स्थानांतरण कर दिए। एेसे में 12 दिन चली दूसरी हड़ताल की जिम्मेदारी कौन लेगा।
उन्होंने कहा कि जब मैं जब मंत्री था उस समय भी हड़ताल के कारण मरीजों की मौत हुई, लेकिन हमने डॉक्टर्स को कभी चींटी नहीं कहा। यह भी नहीं कहा कि चींटी की तरह मसल दूंगा। शर्मा ने कहा कि मेरा काम मैने कर दिया, इस्तीफे में अपनी पीड़ा लिख दी, विधानसभा अध्यक्ष को मौखिक रूप से भी निवेदन किया है।
उधर, विधानसभा अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने कहा कि मैं गंभीरता से विचार करूंगा। इस्तीफे में जो लिखा है उसकी भावना को सरकार तक पहुंचाउंगा। ऐसी घटनाओं से सबक लेकर राज्य सरकार को मंथन करना चाहिए। वे विधायक की बात सरकार तक पहुंचाएंगे। अध्यक्ष ने आश्वस्त किया है भावना की कदर करता हूं। सरकार को अक्षरसह पहुंचाउगा। भावुकता वश निर्णय लिया है उस पर विचार करूंगा।