
SC ने EC से 3.66 लाख लोगों के नामों का मांगा ब्योरा
जयपुर: सुप्रीम कोर्ट ने पीली दाल के शुल्क मुक्त आयात पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर 28 नवंबर तक जवाब मांगा है। याचिका में पीली दाल के शुल्क मुक्त आयात की नीति से किसानों को नुकसान होने का आरोप लगाया। इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या भारत में दाल का पर्याप्त घरेलू उत्पादन है?
बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत, उज्ज्वल भुइयां और एनके सिंह की पीठ ने गुरुवार को किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट की जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने याचिका पर केंद्रीय कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्रालय सचिव, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सचिव, केंद्रीय उपभोक्ता मामलात मंत्रालय सचिव व विदेश व्यापार महानिदेशालय से जवाब मांगा है।
याचिकाकर्ता संगठन की ओर से अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कोर्ट को बताया कि पीली दाल के शुल्क मुक्त आयात की नीति से देश में सोयाबीन, मूंगफली, उड़द, मूंग और अरहर दाल की कीमतें न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ गईं। कृषि लागत और मूल्य आयोग मार्च 2025 में पीली मटर के आयात पर प्रतिबंध लगाने और तुअर, अरहर व मसूर जैसी अन्य दालों पर आयात शुल्क बढ़ाने की सिफारिश कर चुका है।
वहीं, नीति आयोग आयात पर निर्भरता को देखते हुए घरेलू दालों का उत्पादन बढ़ाने की सिफारिश कर चुका। उन्होंने कहा, पीली दाल का आयात 3500 रुपए प्रति क्विंटल दर से हो रहा है। जबकि उड़द, तूर और चना दाल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लगभग 8500 रुपये प्रति क्विंटल है।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अंतिम परिणाम उपभोक्ता की पीड़ा नहीं हो सकता। किसान को लाभ नहीं मिलेगा, क्योंकि वह फसल बेच चुका। उन्होंने याचिकाकर्ता के उस दावे को दोहराया, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और अन्य देशों में पीली दाल का इस्तेमाल मवेशियों के चारे के रूप में होने की बात कही है। कोर्ट ने पीली दाल के मानव स्वास्थ्य पर असर के बारे में पूछा, इस पर प्रशांत भूषण ने कहा कि स्वास्थ्य पर असर एक और समस्या है।
Updated on:
26 Sept 2025 07:35 am
Published on:
26 Sept 2025 07:31 am
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