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रणथंभौर और सरिस्का से टाइगर गायब, वन महकमों में मची खलबली, उजागर हुए कई कारनामे

locationजयपुरPublished: Mar 22, 2018 09:21:40 pm

मुकुंदरा में टाइगर छोडऩे से पहले गांव खाली कराने का दावा भी हवा

jaipur
शादाब अहमद / जयपुर . रणथम्भौर और सरिस्का से टाइगर के गायब होने से जहां राज्य के वन महकमे में खलबली मची हुई, वहीं इससे विभाग के कारनामे भी उजागर हो रहे हैं। विभागीय अधिकारी सिर्फ ट्यूरिज्म बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं। इसके लिए वे वन्य जीवों की सुरक्षा से समझौता करने में भी पीछे नहीं रहे। इसी का उदाहरण है कि पिछले पांच साल में सरिस्का तथा दो साल से रणथम्भौर में एक भी गांव विस्थापित नहीं किया गया है। इससे टाइगर रिजर्व में मानवीय दखल कम होने की बजाय लगातार बढ़ रहा है।

एक साल में सिर्फ 26 परिवार शिफ्ट

सरिस्का में गत कई दिनों से एक टाइगर लापता तथा रणथंभौर में भी दो शावक गायब हैं। इससे पहले रणथम्भौर से गत कुछ वर्षों में 4-5 टाइगर भी कैमरे में ट्रेप नहीं हुए हैं। इसके बावजूद विभागीय अधिकारियों का इस ओर ध्यान नहीं है। सूत्रों की माने तो फील्ड में तैनात अधिकारी पर्यटन बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक निर्माण कार्य करवा रहे हैं। इसका सीधा असर विस्थापन पर पड़ रहा है। पिछले एक वर्ष में सरिस्का से सिर्फ दस परिवार और रणथम्भौर से 16 परिवारों को ही शिफ्ट किया जा सका है। वहीं विभागीय अधिकारियों की माने तो गांव विस्थापन धीमा होने के लिए सरकार का कमजोर पैकेज जिम्मेदार है।

मुकुंदरा में भी फेल

विभाग का मुकुंदरा टाइगर हिल्स में टाइगर छोडऩे से पहले कुछ गांवों को खाली कराने का दावा भी हवा होता दिखाई दे रहा है। यहां विभाग ने विस्थापन के बदले ग्रामीणों को कोटा की बेशकीमती जमीन देने की स्वीकृति तो दे दी, लेकिन इसके बाद अब तक कुछ नहीं हो सका।

दो साल में मिले 90 करोड़ से अधिक

राज्य के तीनों टाइगर रिजर्व के लिए सरकार ने गत तीन वर्षों में 90 करोड़ रुपए से अधिक की राशि दी है। इसमें से सिर्फ निर्माण कार्यों पर राशि खर्च की गई है। गांव विस्थापन मद की अधिकांश राशि खर्च ही नहीं सकी।
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