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Trump 50 Percent Tariff : राजस्थान के ड्राई पोर्ट्स पर कंटेनर्स की भारी कमी, निर्यात 50 प्रतिशत तक गिरा, कई नौकरियां होंगी खत्म, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Trump 50 Percent Tariff : अमरीका में भारतीय उत्पादों पर 27 अगस्त से 50 फीसद तक का भारी-भरकम टैरिफ लागू होने से दो दिन पूर्व ही इसका नकारात्मक असर दिख गया था। पिछले 2 दिन यानी सोमवार-मंगलवार को राजस्थान से एक्सपोर्ट होने वाले कंटेनरों की संख्या में भारी कमी देखी गई है।

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Trump 50 Percent Tariff Rajasthan dry ports Containers dry up exports drop by 50 percent read full report

फाइल फोटो पत्रिका

Trump 50 Percent Tariff : अमरीका में भारतीय उत्पादों पर 27 अगस्त से 50 फीसद तक का भारी-भरकम टैरिफ लागू होने से दो दिन पूर्व ही इसका नकारात्मक असर दिख गया था। पिछले दो दिन यानी सोमवार और मंगलवार को राजस्थान से एक्सपोर्ट होने वाले कंटेनरों की संख्या में भारी कमी देखी गई है। जयपुर में कनकपुरा स्थित कॉनकोर कंटेनर डिपो से गत सप्ताह तक जहां औसत 378 टीईयू कंटेनर प्रतिदिन प्रोसेस में थे, वहीं इस सप्ताह के पहले व दूसरे दिन यह औसत घटकर मात्र 209 टीईयू कंटेनर रह गई है।

जोधपुर स्थित थार ड्राई पोर्ट पर तो यह गिरावट और अधिक है। गत सप्ताह तक जहां 200 कंटेनर प्रतिदिन जा रहे थे वहीं इस सप्ताह के पहले दो दिन यह औसत घटकर मात्र 60 कंटेनर रह गई। जयपुर में 45 फीसदी तथा जोधपुर में 75 फीसदी की यह गिरावट मुख्यत: अमरीका को होने वाले निर्यात के पूर्णत: ठप होने से देखी जा रही है।

राजस्थान में कई नौकरियां खत्म हो जाएंगी

अमेरिकी टैरिफ का असर राजस्थान में साफ़ दिखाई दे रहा है। इसका तत्काल प्रभाव नौकरियों पर पड़ेगा, खासकर आभूषण, हस्तशिल्प और रेडीमेड परिधान जैसे क्षेत्रों में, जहां राजस्थान को बढ़त हासिल है। उत्तर प्रदेश के बाद देश में हस्तशिल्प का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक राजस्थान है, इस क्षेत्र में लगभग 7 लाख लोगों को रोजगार देता है। उद्योग के प्रतिनिधियों का कहना है कि अमेरिका को निर्यात पर 50 फीसदी शुल्क लगने से कई नौकरियां खत्म हो जाएंगी।

राजस्थान के निर्यात में 50 प्रतिशत गिरावट की आशंका, सही- झालानी

राजस्थान हैंडीक्राफ्ट्स एक्सपोर्टर्स जॉइंट फोरम के कोऑर्डिनेटर नवनीत झालानी ने बताया कि टैरिफ के कारण राजस्थान के निर्यात में 50 प्रतिशत गिरावट की जो आशंका व्यक्त की गई थी वह अब स्पष्ट नजर आने लगी है।

अमरीका को निर्यात होने वाला 10 हजार करोड़ का माल अटका

जानकारों का मानना है कि ट्रंप को इस बात की उम्मीद थी कि 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा से भारतीय बाजार डगमगा जाएगा। भारतीय निर्यातक अपनी सरकार पर समझौते के लिए दबाव बनाएंगे। आखिर में भारत सरकार को अमरीका की शर्तों के सामने झुकना पड़ेगा, लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। केंद्र सरकार झुकने की जगह मित्र देशों के साथ व्यापार बढ़ाने के नए रास्ते तलाशने लगी। इसमें काफी हद तक सफलता भी मिल रही है।

अमरीका में सितम्बर से दिसम्बर के बीच फेस्टिव सीजन के 4 महीनों में ही सालभर का 50 से 60 प्रतिशत इम्पोर्ट होता है। अमरीका जाने के लिए तैयार हुआ यह माल फिलहाल प्रदेशभर में एक्सपोर्ट्स की फैक्ट्रियों और गोदामों में भरा हुआ है। इसकी अनुमानित कीमत लगभग 10 हजार करोड़ रुपए है।

हस्तशिल्प निर्यात में लगभग 60 फीसदी अमेरिकी बाजार की हिस्सेदारी

हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद के पूर्व अध्यक्ष दिलीप बैद का मानना है कि कुछ निर्माताओं ने पहले से ही छंटनी शुरू कर दी थी। लेकिन अब, अनिश्चितताएं दूर होने और टैरिफ़ के वास्तविकता बन जाने के बाद, सभी निर्माता अपने ऑर्डर्स का जायज़ा ले रहे हैं। निर्यातक अमेरिकी बाज़ार पर बहुत अधिक निर्भर हैं क्योंकि हस्तशिल्प निर्यात में लगभग 60 फीसदी हिस्सेदारी अमेरिकी बाज़ार की है, जिसका अनुमानित मूल्य लगभग 9,000 करोड़ रुपए है।

नहीं घटेगी कीमतें - महावीर शर्मा

राजस्थान एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के पूर्व उपाध्यक्ष महावीर शर्मा का कहना है कि अमरीका में निर्यात थमने से भारतीय बाजार में कीमतें गिरने का विचार व्यवहारिक नहीं है। एक्सपोर्ट के लिए बनाए गए उत्पादों की क्वालिटी, डिजाइन, पैटर्न और रॉ- मैटेरियल भी आयातक देश के बाजार की डिमांड अलग होती है। जैसे हैंडमेड वूलन कारपेट कक्ष को गर्म रखते हैं, इसलिए यूएसए में उनकी डिमांड रहती है। इसी तरह निर्यात होने वाले ज्वैलरी, फर्नीचर के भारतीय बाजार में खपत की संभावना बेहद कम है।

फैक्ट्रियों में जमा स्टॉक - रक्षित पोद्दार

गारमेंट एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ऑफ राजस्थान के प्रेसिडेंट रक्षित पोद्दार का कहना है कि जो माल अमेरिका के लिए बन चुका है उसका काफी स्टॉक फैक्ट्रियों में जमा है। अमरीका के बायर भारी डिस्काउंट मांग रहे हैं या ऑर्डर कैंसिल कर रहे हैं। ऐसे में फैक्ट्री चलाने और कर्मचारियों के रोजगार को कायम रखने के लिए जमा स्टॉक को स्थानीय बाजार में कम कीमत पर बेचने की संभावना है। गारमेंट में यह विकल्प खुला है।

नए निर्यातक फंसे - महेश शर्मा

अंतरराष्ट्रीय बाजार विशेषज्ञ महेश शर्मा का कहना है कि ज्यादातर निर्यातक अपने माल को स्टॉक कर सकते हैं, लेकिन 30 से 40 प्रतिशत ऐसे निर्माता है जो या तो हाल ही में एक्सपोर्ट में उतरे हैं या फिर बैंक से भारी लोन लेकर फैक्ट्री शुरू की हैं। उन्हें किसी भी कीमत पर माल बेचना ही पड़ेगा। उन्हें घरेलू बाजार में यूएस के दाम मिलना संभव नहीं है। इसलिए उन्हें कम कीमत पर ही माल बेचना पड़ेगा। इससे संभव है कि निर्यात होने वाला माल स्थानीय बाजार में मिलना संभव हो जाए।