
तंदूरी डिशेज होंगी थाली से गायब!...निगम के फैसले ने की स्वाद पर चोट
(जम्मू,योगेश): अगर आप पारम्परिक खाने जैसी कोयले पर पकने वाली बोटी क़बाब, पनीर टिका या तंदूर से निकले गरम तंदूरी चिकन या फिश के शौकीन है तो अपना स्वाद बदलने की तैयारी शुरू कर ले क्योकि जम्मू नगर निगम ने एक फैसला किया है जो आपके स्वाद पर भरी पड़ा सकता है। दरअसल गिरते एयर क्वालिटी इंडेक्स के चलते निगम ने एक बड़ा आदेश जारी किया जिसके मुताबिक शहर में कोयले और लकड़ी के इस्तेमाल से खाना बनाने वाले ढाबों, रेस्टोरेंट्स और भोजनालय को एलपीजी गैस से खाना बनाने की सलाह दी गई है।
जम्मू नगर निगम म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 2000 की धारा 302 और 303 के तहत शहर के सभी ढाबा, रेस्टोरेंट्स और भोजनालयों के खिलाफ यह कार्यवाही अगले 15 दिनों में करेगा।
गौरतलब है कि जम्मू शहर में करीब 500 ढाबे, 200 रेस्टोरेंट्स और 300 भोजनालय हैं। सभी को नोटिस भेजा जारी करते हुए 15 दिन का समय दिया गया है। इस आदेश से वायु का स्तर कितना सुधरता है इसका अनुमान लगाना मुश्किल है परन्तु यदि इसे गंभीरता से लागू किया गया तो पारम्परिक कश्मीरी बेकरी जो लगभग 100 प्रकार की रोटियां और बस्कुट बनाती है के अस्तित्व पर चोट होगी। इस के साथ ही स्ट्रीट फूड से जुड़े लोगों के व्यवसाय पर भी इस निर्णय का असर पड़ेगा।
जम्मू में पंजाब के भांति नान कुलचा एक प्रमुख भोजन है। काम काजी समाज मुख्य तौर पर कुलचे से दोपहर का भोजन करते है। जबकि तंदूरी फिश, तंदूरी चिकन, तंदूरी मोमोस, क़बाब अदि बहुत पसंद किया जाता है, यह सभी गैस या बिजली से चलने वाली मशीनों से बनाना लगभग असंभव है।
Published on:
05 Jan 2020 03:59 pm
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