
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 371 लागू करने का भ्रम, गृह मंत्रालय बोला- 'ना बाबा ना'
(जम्मू): जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाकर दो नए केंद्र शासित प्रदेश अवश्य बना दिए गए। पर दोनों ही केंद्र शासित प्रदेशों की जनता अभी भी विशेष दर्जा देने की मांग कर रही है। लद्दाख में जहां छात्र संगठन 6वीं अनुसूची के तहत संरक्षण देने की मांग को लेकर सड़क पर उतर आ आए हैं वहीं जम्मू-कश्मीर में अफवाह ने जोर पकड़ लिया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय यहां अनुच्छेद 371 लागू कर इसे विशेष दर्जा देने का विचार कर रहा है। इस तरह की ख़बरें सामने आने के बाद ही केद्रीय गृह मंत्रालय ने इसका खंडन करते हुए ऐसी बातों को निराधार बताया।
यूं चली बात...
दरअसल, मीडिया रिपोर्टस में यह दावा किया गया था कि केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में स्थानीय लोगों की ओर से जमीन, रोजगार, सामाजिक मान्यताओं और पहचान को सुनिश्चित बनाने के लिए किए जा रहे आग्रह को तवज्जो मिल सकती है। और इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 371 को लागू करने पर गंभीरता से विचार कर रहा है। यह भी बताया गया कि इस संदर्भ में गृह मंत्रालय ने राज्य के कानून विभाग को एक विस्तृत प्रस्ताव भेजकर उसकी राय मांगी है।
गृह मंत्रालय ने किया खंडन
शनिवार देर रात गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट कर ऐसी ख़बरों को खारिज कर दिया। कहा गया कि ऐसी बातें प्रसारित की जा रही है कि गृह मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 371 को लागू करने का प्रस्ताव भेजा यह सब गलत और निराधार है।
अनुच्छेद 370 में क्या था प्रावधान...
जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित राज्यों में पुनर्गठित करने के साथ ही केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 के उन सभी प्रावधानों को भी समाप्त कर दिया था, जिनके तहत पुराने जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष अधिकार प्राप्त थे। पुनर्गठन से पहले जम्मू-कश्मीर में कोई भी अन्य राज्य का व्यक्ति स्थायी तौर पर यहां बस नहीं सकता था और न जमीन खरीद सकता था। वह राज्य सरकार के अधीनस्थ विभागों में नौकरी भी प्राप्त नहीं कर सकता था। अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में यह पाबंदियां समाप्त हो गई हैं।
क्या है अनुच्छेद 371
अनुच्छेद 371 पूर्वोत्तर समेत देश के 11 राज्यों में लागू है। इन राज्यों में अनुच्छेद 371 के अलग-अलग प्रावधान लागू हैं। इन राज्यों में जम्मू-कश्मीर का पड़ोसी हिमाचल प्रदेश भी शामिल है। यह अनुच्छेद संबंधित राज्यों में स्थानीय लोगों की धार्मिक-सामाजिक मान्यताओं, स्थानीय कानूनों, स्थानीय लोगों के राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक अधिकारों का संरक्षण यकीनी बनाता है।
पडोसी राज्य हिमाचल में यह प्रावधान...
हिमाचल प्रदेश में 25 साल तक रहने वाले को ही राज्य की स्थायी नागरिकता मिलती है। इसके बाद उसे वहां पर जमीन खरीदने के अधिकार के साथ सरकारी सुविधाओं का भी लाभ मिलता है। सरकारी नौकरियों में भी ऐसी ही व्यवस्था है। इसके लिए डोमीसाइल सर्टिफिकेट दिया जाता है। बाहर का कोई नागरिक अपने नाम पर हिमाचल में जमीन नहीं ले सकता।
लद्दाख में छात्र अनशन पर...
इधर लद्दाख में छात्र संगठन स्थानीय निवासियों को नौकरियों में आरक्षण देने और संविधान की 6वीं अनुसूची के तहत संरक्षण देने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे है। छात्रों ने शनिवार को रैली निकाली। वहीं कड़ाके की ठंड में कई छात्र अनशन पर बैठ गए।
Published on:
15 Dec 2019 03:10 pm
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