
कबूतर महाराज की मौत के बाद छपवाई शोक पत्रिका। फोटो पत्रिका
Rajasthan : झालावाड़ के सुनेल में इंसानों और पशु-पक्षियों में प्रेम व आस्था का अटूट रिश्ता सदियों से चला आ रहा है। ऐसा ही एक नजारा झालावाड़ के सामिया गांव के समीप श्रीरामनगर महुडिया तिराहा स्थित इच्छापूर्ण बालाजी महाराज मंदिर में देखने को मिला। यहां महाराज की तरह पूजे जाने वाले एक कबूतर की मृत्यु के बाद धार्मिक रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। तेरहवीं पर गुरुवार को कबूतर की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा करने के साथ ही भंडारा भी हुआ।
भंडारे में क्षेत्र के करीब सात हजार लोगों ने प्रसादी ग्रहण की। लोगों झालावाड़ सामिया गांव के इच्छापूर्ण बालाजी मंदिर में कबूतर की तेरहवीं पर आयोजित भंडारे में प्रसादी ग्रहण करते ग्रामीण। के अनुसार क्षेत्र में पहली बार इस तरह का आयोजन हुआ। जानकारी के अनुसार एक हादसे में कबूतर की मौत हो गई थी।
इस आस्था को हमेशा बनाए रखने के लिए श्रद्धालुओं ने मंदिर परिसर में ही उसकी मूर्ति स्थापित की। गुरुवार को तेरहवीं पर पूजापाठ और हवन हुआ। इससे पूर्व बुधवार सुबह 10 बजे घाटा और रात को भजन संध्या हुई।
मंदिर के पुजारी मुकेश वैष्णव बैरागी ने बताया कि एक वर्ष पूर्व यह कबूतर मंदिर में आया था। इसके बाद यही बसेरा बना लिया। जब कोई बीमार मंदिर में आता तो वह उसके पास व सिर पर बैठ जाता। जब लोग ठीक होने लगे तो 'महाराज' के प्रति उनकी आस्था बढ़ती गई।
Updated on:
12 Sept 2025 01:34 pm
Published on:
12 Sept 2025 08:54 am
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