
इस नेता ने कर्नाटक में निभाया अहम किरदार , 2019 में गिर जाएगी कुमारस्वामी की सरकार
कानपुर। कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री की सभी रैलियों का रोडमैप यूपी भाजपा के महामंत्री व पूर्व विधायक सलिल विश्नोई ने तैयार किया। जिसका परिणाम रहा कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव में 223 में 104 सीटों पर कमल खिला। बेंगलुरू की कुर्सी पर येदियुरप्पा विराजमान भी हो गए, लेकिन बहुमत के लिए सात विधायक नहीं जुटा पाने से उन्हें 55 घंटे के बाद पद से रिजाइन देना पड़ा। सत्ता अब कांग्रेस और जेडीएस के हाथों में पहुंच चुकी है और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी प्रदेश के दूसरी बार सीएम पद की शपथ आज लेंगे। शपथ समारोह में विपक्ष के सभी नेता एक मंच पर मौजूद रहेंगे और 2019 में पीएम मोदी को हराने के लिए रणनीति बनाएंगे। विपक्ष की एकता पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए सलिल विश्नोई कहते हैं कि देश को लूटने वाले चाहे जितना जोर लगा लें, पर पीएम मोदी के विजय रथ को नहीं रोक पाएंगे। कर्नाटक की जनता ने भाजपा को वोट दिया। दोनों दलों ने एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए और आज कुर्सी के लिए एक हो गए हैं। पर यह सरकार ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी। लोकसभा चुनाव के पहले येदियुरप्पा वहां की कमान फिर से संभालेंगे।
बेंगलुरु में दिखेगी की विपक्ष की एकता
कर्नाटक में कांग्रेस, जेडीएस और प्लस गठबंधन की सरकार के शपथ ग्रहण में मंच से विपक्षी एकता भी देखने को मिलेगी। कई क्षेत्रीय दलों के कद्दावर नेता बेंगलुरु में इस शपथ ग्रहण समारोह का हिस्सा होंगे। एक तरफ मोदी सरकार केंद्र में अपने 4 साल पूरे करने जा रही है और उससे ठीक पहले विपक्षी एकता की नींव भी पड़ती दिख रही है। 2019 लोकसभा चुनावों से पहले यह एक तरह से मोदी सरकार के लिए चुनौती की घोषणा है। पर भाजपा नेता सलिल विश्नोई इसे विपक्ष की हताशा बता रहे हैं। सलित कहते हैं कि लोकसभा चुनाव 2014 में भी अधिकतर सभी दल भाजपा के खिलाफ ही चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें जनता ने हरा दिया। पीएम मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए चाहे जितने हथकंड़े विपक्षी दल आजमा लें पर उन्हें कामयाबी नहीं मिलेगी। जनता इनके शासनकाल से भलीभांति वाकिफ है और इसी का परिणाम है आज भाजपा 21 राज्यों में अपनी सरकार चला रही है।
अमित शाह की टीम के खास सदस्य
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने अपने खास चाणक्य पूर्व विधायक व यूपी के महामंत्री सलिल विश्नोई को दक्षिण में कमल खिलाने की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी। यूपी भाजपा के महामंत्री ने पूरे 35 दिन तक कर्नाटक के जिलों, शहर, मोहल्लों और गांव, गलियों की खाक छानी। सलित बताते हैं कि जब हम कर्नाटक के दूर-दराज के गांवों में गए थे कांग्रेस सरकार की पोल ख्ुल कर सामने आ गई। कांग्रेस के नेताओं ने केंद्र सरकार के पैसे से जनता के बजाए खुद का विकास किया। लोगों ने खुलकर कांग्रेस के खिलाफ सड़क पर उतरे और भाजपा के साथ मजबूती के साथ डटे रहे। भाजपा ने दक्षिण में भी अपने कार्यकर्ताओं की फौज बूथ तक पहुंचा दी है। एक-एक विधानसभा में 350 बूथ अध्यक्ष नियुक्त किए गए। 10-10 जिलों में 20 विस्तारकों को लगाया गया और हमारा यह प्रयास सफल रहा।
35 दिन तक कर्नाटक में बिताया समय
स्लिल विश्नोई 2017 का विधानसभा चुनाव आर्यनगर सीट से हार गए थे। तीन बार के विधायक के चुनाव हारने के बाद भी पार्टी ने विश्नोई पर विश्वास बनाए रखा और निकाय चुनाव से पहले उन्हें बनारस लोकसभा क्षेत्र का प्रभारी बनाया गया। भाजपा ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में जबरदस्त जीत हासिल की। इसी के बाद सलिल अमित शाह की टीम के चास सदस्य बन गए। कर्नाटक चुनाव में पूर्व विधायक करीब 35 दिन तक वहां चुनाव प्रचार किया। पीएम की सफल रैलियां करवाईं। मतदान से पहले बूथों पर बूथ अध्यक्षों को भेजा और परिणाम भाजपा के पक्ष में गया। कर्नाटक में सरकार नहीं बना पाने पर सलिल को मलाल है, पर वह यह भी कहते हैं कि कुमारस्वामी ज्यादा दिन तक कर्नाटक के सीएम नहीं रह पाएंगे।
अब ममता बनर्जी को हराएगी बीजेपी
विपक्षी एकता के बारे में सलिल हते हैं कि, ’कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन उत्तर प्रदेश में एसपी-बीएसपी गठबंधन की तरह है। कहते हैं कि सुना है कि बबुआ और बुआ मैउम सोनिया और राहुल गांधी के साथ एक मंच पर बैठने के लिए बेंगलुरू पहुंच चुके हैं। सलिल ने बताया कि कांग्रेस मुक्त भारत तो हमने कर दिया और अब क्षत्रप् मुक्त करने का अभियान चलाया जाएगा। पच्छिम बंगाल और केरल में भाजपा मजबूती के साथ बड़ रही है और हमें पूरा विश्वास है कि ममता बनर्जी की सरकार को भाजपा कार्यकर्ता हटाकर दम लेंगे। वहां भी रामराज की नीवं रखी जाएगी। कानपुर के साथ ही अन्य प्रदेशों से भाजपा नेता कालकाटा पहुंच रहे हैं और जनता के बीच जाकर ममता बनर्जी सरकार की पोल खोल रहे हैं। ममता बनर्जी हिन्दुओं के साथ भेदभाव कर रही हैं और उन्हें इसका खामियाजा विधानसभा चुनाव में उठाना पड़ेगा।
Published on:
23 May 2018 06:28 pm
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