अब शादी की रस्में बड़ी शिद्दत से निभाई। बरसों से साथ रह रहे और अब तक परिवार बना चुके खैरझिटी कला के निवासी सुकाल निषाद (73) मुखिया है, जो दूल्हा बन गौतरहिन के साथ विवाह की रस्में पूरी करते हुए वरमाला तक की रस्में नवधा रामायण समारोह में पूरी की।
प्रेम किसी उम्र का मोहताज नहीं होता। कौन, कहां और कब कोई आपको अच्छा लगने लगे। यह आपको भी पता नहीं होता। प्रेम एक एहसास है, जो उम्र की बंदिशों को नहीं मानता। आज एक ऐसे ही जोड़े की कहानी हम आपको बता रहे हैं, जिनकी पहली मुलाकात बातचीत से शुरू हुई और लबे समय से साथ रहने लगे। खुशहाल जीवन में तीन बच्चों का पालन-पोषण भी करते रहे।
बेटे की शादी करने के उम्र में अब इन जोड़े की पचास साल बाद शादी की रस्म पूरी हो पाई। कवर्धा जिले के खैरझिटी कला गांव के रहने वाले 73 साल के सुकाल निषाद और 6 7 साल की गौतरहिन विवाह बंधन में बंध चुके हैं। ग्राम में चल रहे नवधा रामायण समारोह में भगवान को साक्षी मानते हुए इन दोनों ने सात फेरे लिए और हमेशा के लिए एक-दूसरे के हो गए। उनके दो पुत्र और एक लड़की भी है। सभी साथ मिलकर खुशहाल जीवन व्यतीत कर रहे हैं।
रिश्तेदार के लिए लड़की देखते समय हुई थी मुलाकात
सुकाल निषाद बताते हैं कि किसी परिवारिक कार्यक्रम के लिए ग्राम दाढ़ी के समिप गौतरहिन के गांव गया था। दोनों के बीच बातचीत का सिलसिला शुरू हो गया और वक्त के साथ मुलाकातों का ये सिलसिले चाहत में तब्दील हो गए और फिर दोनों ने आगे की जिंदगी एक साथ गुजारने का निश्चय किया। फिर अपने परिवार को अपनी इच्छा के बारे में बताया। ऐसे में उनके परिवार ने भी उनका साथ दिया।
ग्रामीणों ने कराई शादी
सुकाल निषाद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं। कच्चे मकान तले दोनों ने सुख-दुख में जीवन यापन करते हुए एक दुसरे के सहारे पुरे 50 साल बिताए। दोनों परिवार का बरसों से इच्छा थी की शादी जिले के मंदिर या समारोह में हो। यह इच्छा ग्रामीणों की सहयोग से गांव में चल रहे नवधा रामायण समारोह के बीच ग्रामीणों की उपस्थिति में हुआ। भगवान को साक्षी मानकर वरमाला व शादी की रस्म रचाई। दोनों की इच्छा पूर्ण होने पर काफी खुश है।